Monday, November 02, 2015

युवावर्ग नपुंसकता और स्वप्नदोष की दवा खोजते है -भाग-दूसरा

पहले भाग का शेष -





सांतवा प्रयोग:-



गाजर- 1 किलो

चीनी - 400 ग्राम

खोआ - 250 ग्राम

दूध - 500 ग्राम

कद्दू -कश किया हुआ नारियल - 10 ग्राम

किशमिश - 10 ग्राम

काजू - 10-15 पीस

देशी घी - 4 चम्मच


गाजर को कद्दूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है। ये देशी गाजर-पाक(हलवा ) लोग जाड़े में प्रयोग करते है लेकिन नियमित प्रयोग से अदभुद शक्ति  आती  है -


अन्य प्रयोग:-



ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है।

100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है।

चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है।

आप आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है।

एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है।

आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।

जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है। कुछ पान वाले इसे पलंग -तोड़ पान कह कर यही सब डाल के आपको देते है -

15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे #शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है।

एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।

सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है।

इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है।

वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।

आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है।

4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है।

पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है।

2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी।

सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें चीनी के बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी।

पहला भाग देखे लिंक -युवावर्ग नपुंसकता और स्वप्नदोष की दवा खोजते है -प्रथम भाग 


युवावर्ग नपुंसकता और स्वप्नदोष की दवा खोजते है -प्रथम भाग

आज कल बाजारों में अधिक मात्रा में "सेक्स-शक्ति" को बढ़ाने वाली दवाईयां भी मिलती है। आज के युवा लोग इन दवाईयों को काफी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं-लेकिन वे सभी लोग यह नहीं जानते हैं कि ये दवाईयां उनके शरीर पर कितना गलत प्रभाव ड़ालती है। इनका साइड इफेक्ट भी इस प्रकार का है कि पहले तो ये स्थाई प्रभाव हीन है और दूसरे ये आपको इस प्रकार के रोगों से पीड़ित कर देती है जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते है-






यही कारण है कि बाद में युवा वर्ग नपुंसकता और स्वप्नदोष जेसी दवा खोजते फिर रहे है -

कुछ लोग तो इस प्रकार की बाज़ार से खरीदी गई दवाओ से पेरालाइसिस ,उच्च रक्तचाप ,मधुमेह ,एलर्जी आदि का भी शिकार हो रहे है .उन सभी युवाओं से मेरा अनुरोध है कि स्वयं के शरीर को इन बाजारू दवाओ से मुक्त रक्खे -

आप कुछ ऐसे घरेलू उपाय है जिनको आप खुद ही तैयार करके प्रयोग में ला सकते हैं। ये घरेलू नुस्खें सरल, सस्ते, नुकसान रहित तथा लाभदायक है। थोड़ी सी मेहनत से आप इसे स्वयं बना सकते है -


पहला प्रयोग:-



तालमखाने के बीज-100 ग्राम

ढाक(पलाश ) का गोंद-100 ग्राम

चोबचीनी-100 ग्राम

मोचरस-100 ग्राम

मिश्री-250 ग्राम


उपरोक्त सभी चीजो को कूट-पीस के चूर्ण बना ले -रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है-


दूसरा प्रयोग:-



आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है-


तीसरा प्रयोग:-



अश्वगंधा का चूर्ण-100 ग्राम

असगंध-100 ग्राम

बिदारीकंद-100 ग्राम


उपरोक्त सभी सामग्री ले के चूर्ण बना ले - इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।


चौथा प्रयोग:-



उंटगन के बीज-6 ग्राम

तालमखाना- 6 ग्राम

गोखरू -6 ग्राम


इन सभी सामग्री को समान मात्रा में लेकर उसे आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है। ये प्रयोग बुढ़ापे में भी जवानी देने वाला है .


पांचवा प्रयोग:-



शंखपुष्पी- 100 ग्राम

ब्राह्नी- 100 ग्राम

असंगध- 50 ग्राम

तज- 50 ग्राम

मुलहठी -50 ग्राम

शतावर- 50 ग्राम

विधारा- 50 ग्राम

शक्कर -450 ग्राम


इन उपरोक्त सभी सामग्री को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स- शक्ति में ताकत आती है-


छठा प्रयोग:-




सालम मिश्री- 50 ग्राम

तालमखाना- 50 ग्राम

सफेद मूसली- 50 ग्राम

कौंच के बीज- 50 ग्राम

गोखरू - 50 ग्राम

ईसबगोल- 50 ग्राम

इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में एक चम्मच मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 250 ग्राम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है-

दूसरा भाग लिंक पे देखे-युवावर्ग नपुंसकता और स्वप्नदोष की दवा खोजते है -भाग-दूसरा

मानसिक रोग से मुक्ति के लिए उपचार -

तनाव भरी जिन्दगी ,काम की भागदौड ,घरेलू झगडे ,इसका आपके मस्तिष्क पे बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे स्मरण-शक्ति का हास होना स्वाभाविक है और धीरे-धीरे समयानुसार आत्मविश्वास में कमी होने लगती है -



इन सभी कमियों को दूर करना भी आवश्यक है वर्ना कुछ समय बाद आपको भूलने जैसी बीमारी से दो-चार होना पड़ता है इस प्रकार का व्यक्ति क्रोध ,बैचेनी,सिरदर्द ,आत्म-ग्लानी का भी शिकार हो जाता है -

आप सभी के लिए एक नुस्खा है जिसे प्रयोग करके अपने मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाए -


सामग्री :-


शंखपुष्पी - 100 ग्राम

ब्राह्मी     - 100 ग्राम

गिलोय    - 100 ग्राम

आंवला    - 100 ग्राम (सूखा हुआ )

जटामासी - 100 ग्राम (सभी सामग्री आयुर्वेद जड़ी-बूटी विक्रेता से आसानी से प्राप्त )


प्रयोग विधि:- 


उपरोक्त सभी सामग्री को महीन कूट-पीस करछान कर एक एयर टाईट कांच के बर्तन में रख ले और प्रतिदिन इसकी एक-एक चम्मच मात्रा शहद ,या जल , या आंवले के शरबत के साथ दिन में तीन बार ले तथा बच्चो को इसकी मात्रा आधा चम्मच दे - गर्भवती महिला यदि गर्भ-काल में नियमित सेवन करती है तो होने वाला बच्चा हर प्रकार से स्वस्थ और मानसिक रोगों मुक्त रहता है- वृद्ध भी इसका सेवन कर सकते है - ये पूर्ण रूप से सुरक्षित प्रयोग है -

उपचार और प्रयोग-

Sunday, November 01, 2015

सफ़ेद दाग /LECOUDERMA /VITILIGO

सफ़ेद दाग के रोगी को नमक कम से कम खाना चाहिए। अच्छे परिणाम के लिए सैंधा नमक खाए। दूध के साथ कोई भी नमक वाली वस्तु ना खाए। चाय बंद कर दे। यदि कुछ दिन दूध भी बंद कर दे तो अधिक लाभ होगा। चीनी, गुड व अन्य मीठा भी कम कर दे।

सफ़ेद दाग की दवाई शुरू करने से पहले पेट साफ की दवाई (Duphalac 25ml )जरूर ले। दवाई शुरू करने के बाद भी हर 15 दिन मे पेट साफ़ की दवाई जरूर ले। इससे लाभ जल्दी होता है। 

यह केवल कल्पना है कि सफ़ेद वस्तुए खाने से सफ़ेद दाग बढ़ते हैं। सच्चाई यह है कि मुली, चावल जैसी सफ़ेद वस्तुए इस रोग मे कोई हानि नहीं करती। 

परहेज (कम से कम प्रयोग करे)–दही, लस्सी, उरद(माह) की दाल, सेम, पिट्ठी से बनी वस्तुए जैसे दहीबड़ा, कचौरी आदि, मछली, अंडा, चाउमीन, पिज्जा (चाउमीन/पिज्जा मे अजीनोमोटों का प्रयोग होता है)। खटाई जैसे इमली, नींबू, अमचूर, कांजी आदि, जलन करने वाले भोजन जैसे लाल/हरी मिर्च, राई, अदरक,रायता, शराब/सिरका आदि, अभिष्यन्दी जैसे दही, खीर, बर्फी, आइसक्रीम आदि, विरोधी भोजन (जैसे दूध के साथ नमक, खटाई,जामुन आम आदि, घी के ऊपर ठंडा पानी, पानी मे शहद आदि), अध्यशन (पहले खाए हुए भोजन के न पचने पर भी भोजन खा लेना), अजीर्ण (अपच) मे भोजन, खाना दिन मे सोना और रात मे जागना छोड़ दे। शाकाहारी बने। 

चिकित्सा- सफ़ेद दाग पर 100% सफल प्रयोग 
1- सोमराजी घृत : इस दवाई की प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। अभी तक बहुत सी दवाइयाँ प्रयोग करी। परंतु इसके बराबर की और आसानी से बन जाने वाली दवाई दूसरी नहीं मिली। जो सालों तक चिकित्सा करवा कर थक चुके हों निराश हो गए हों उन्हे भी यह दवाई जरूर प्रयोग करनी चाहिए। यदि अच्छी तरह बनाई जाए तो यह कभी भी असफल नहीं होती। बहुत ध्यान से नोट करे। तौल मे बदलाव ना करे। 

देशी घी- 800 ग्राम 
खैर की छाल = 650 ग्राम 
बावची = 150 ग्राम +150 ग्राम =300 ग्राम
परवल की जड़, भृंगराज, जवासा,कुटकी = 40 ग्राम प्रत्येक 
गूगल = 80 ग्राम 

1- देशी घी गाय का ले। पथमेड़ा गौशाला का घी सबसे अच्छा व विश्वनीय है। यदि पथमेड़ा का ना मिले तो विश्वनीय भैंस का घी ले। 
2- खैर = Acacia Catechu (चित्र के लिए Google पर सर्च करे)। इसकी छाल सभी जड़ी बूटी वालो से आसानी से मिल जाती है। 
3- बावची – यह काले रंग के बीज हैं जो सभी जड़ी बूटी वालों के यहाँ से मिल जाते हैं। 
4- परवल की जड़ मिल जाए तो बहुत अच्छा नहीं तो इसके पत्ते मिल जाते हैं वह प्रयोग करे । भृंगराज, कुटकी व जवासा भी आसानी से मिल जाते हैं। 
5- गूगल – यह एक पेड़ का गोंद है। यह 2 तरह का आता है। एक साधारण गुगुल दूसरा शुद्ध किया हुआ गुगुल। इस प्रयोग मे साधारण गुगुल (जिसे शुद्ध ना किया हो) ही प्रयोग करे। यह चिपचिपा होता है। इसलिए 2 दिन धूप मे रख कर सूखा ले। फिर कूट कर प्रयोग करे। 

बनाने की विधि –
1- 650 ग्राम खैर की छाल व 150 ग्राम बावची को मोटा कूट कर रख ले। 
2- 150 ग्राम बावची, भृंगराज, परवल व जवासे को बारीक पीस ले। 
3- गूगल के छोटे टुकड़े बना ले। 

650 ग्राम खैर की छाल + 150 ग्राम बावची को 6.500 किलो पानी मे पकाए। धीमी आग पर पकाए। जब लगभग 1.500 (डेढ़ किलो) ग्राम पानी रह जाए तब छान ले। ठंडा होने पर जो बचा हुआ अंश है उसे कपड़े मे से निचोड़ ले। यह काढ़ा साफ बर्तन मे 1 रात के लिए रख ले। सुबह ऊपर का साफ पानी निथार ले। जो अंश नीचे बैठ जाए उसे छोड़ दे। {छानने के बाद जो बचता है उसे कचरे मे ना फेंके। किसी पेड़ की जड़ में डाल दे। खाद का काम करेगी।} 

एक पीतल की कली की हुई कड़ाही (ना मिले तो लौहे की कड़ाही) मे 800 ग्राम देशी घी व का 1.500 किलो काढ़ा व बाकी बारीक पीसा हुआ पाउडर व गूगल के टुकड़े मिलाकर धीमी आग पर पकाए। बीच बीच कड़छी से हिलाते रहे। कुछ समय बाद कड़ाही मे नीचे काला काला चिपचिपा अंश दिखाई देगा। 1 सलाई पर रुई लपेट कर इस पर घी लगाए। इस घी लगी रुई को जलाए। यदि चटर चटर की आवाज आए तो समझे अभी पकाना बाकी है। यदि बिना किसी आवाज के रुई जल जाए तो आग बंद कर दे। जब लगभग सारा पानी जल जाए और केवल घी रह जाए तो आग बंद कर दे। उसके बाद कड़ाही के हल्का ठंडा होने पर ध्यान से घी को एक सूखे बर्तन मे निकाल ले। ध्यान रहे घी पकाते समय मिश्रण पूरी तरह न जले। जब तली मे शहद जैसा गाढ़ा बच जाए तब आग बंद करके घी को अलग कर ले। घी अलग करते समय बर्तन मे जरा सा काले रंग का काढ़ा भी आ जाता है । इसलिए बर्तन से घी को एक चौड़े मुंह की काँच की शीशी मे डाल ले। 

प्रयोग विधि- यह घी लगाने व खाने मे प्रयोग करे। जिसको रोग कम हो उसे 1 समय व जिसे रोग अधिक हो उसे सुबह नाश्ते के बाद व रात को सोने से पहले प्रयोग करे। मात्रा – 10 ग्राम छोटे बच्चो को भी दे सकते हैं कम मात्रा मे। इसको लगाने से कुछ दिन बाद दाग का रंग बदलने लगता है। यदि इसको लगाने से यदि जलन हो तो बीच बीच मे इसका प्रयोग बंद कर दे। उस समय नारियल का तेल लगाए। बाद मे जब जलन शांत हो जाए तब फिर दवाई लगाना शुरू कर दे। दाग पर दवाई लगाकर ऊपर किसी भी पेड़ का पत्ता रख कर बांधने से जल्दी लाभ होता है । किसी किसी को इस दवाई के लगभग 20 दिन के प्रयोग के बाद शरीर मे जलन व गर्मी महसूस होने लगती है। तब इसे बीच मे बन्द कर दे। इस दवाई के समय नारियल खाने व नारियल का पानी पीने से जलन नहीं होती। 

2- लगाने की दवाई – सफ़ेद दाग मे लगाने की दवाइयाँ प्रायः जलन पैदा करती हैं। परंतु यह दवाई बिलकुल भी जलन पैदा नहीं करती। खाने की दवाइयों के साथ लगाने के लिए यह प्रयोग करे। यदि किसी कि आँख के पास या अन्य किसी कोमल अंग पर सफ़ेद दाग हो तब यह जरूर प्रयोग करें। यह भी बहुत सफल दवाई है। 

• सरसों का तेल 250 ग्राम (कच्ची घानी का अधिक लाभदायक है)
• हल्दी (साबुत हल्दी ले) 
• यदि कच्ची हल्दी मिल जाए जो आधिक गुणकारी है तो वह 1 किलो ले। 
• यदि कच्ची हल्दी ना मिले तो सुखी साबुत हल्दी 500 ग्राम ले । ध्यान दे कि साबुत सुखी हल्दी मे घुन ना लगा हो।
बनाने का तरीका – 
• 1 किलो कच्ची या गीली हल्दी को या 500 ग्राम सुखी साबुत हल्दी को मोटा मोटा कूट ले। 
• इसे 4 किलो पानी मे उबाले। 
• जब 1 किलो पानी बचे तब छान कर इस हल्दी के पानी को रख ले। 
• एक लौहे कि कड़ाही ले जिसमे 4 किलो पानी आ सके। 
• इसमे 250 ग्राम सरसों का तेल व 1 किलो हल्दी का पानी मिलाकर धीमी आग पर पकाए। 
• जब हल्दी का पानी खत्म हो जाए व कड़ाही मे नीचे कीचड़ सा बच जाए तब आग बंद कर दे। 
• ठंडा होने पर तेल को सावधानी से अलग कर ले। 
• यदि आप अधिक प्रभावशाली दवाई बनाना चाहते हैं तो इस तेल मे 3 बार 1-1 किलो हल्दी का पानी मिलाकर पकाए। 
यह तेल लगाने पर धीरे धीरे सफ़ेद दाग को खत्म कर देता है। साथ मे खाने की दवाई भी जरूर खाए। 

3- सरल प्रयोग- बावची का 1 दाना सुबह पानी से खाली पेट ले। अगले दिन 2 दाने ले। इसी तरह 1-1 बढ़ाते हुए 21 तक बढ़ाए। फिर 1-1 कम करते हुए 1 दाने पर ले आए। दोबारा बढ़ाते हुए 1 से 21 तक व 21 से 1 तक ले आए। यह प्रयोग 3-4 बार करने से सफ़ेद दाग ठीक हो जाते हैं। इस प्रयोग से कभी कभी बीच मे गर्मी लगने लगे तो आगे ना बढ़ाए। वहीं से कम करना शुरू कर दे। नारियल का पानी पीने व नारियल की गिरि खाने से गर्मी लगने कि समस्या कम हो जाती है। अधिक लाभ के लिए रात को 2 कप पानी मे 2 चम्मच आंवला चूर्ण डाल दे। सुबह छान कर इस पानी से बावची के दाने ले तो गर्मी नहीं लगती। 

4- 100 ग्राम तिल व 100 ग्राम बावची मिलाकर बारीक कूट ले। 1 चम्मच सुबह हर दिन पानी से ले। बीच मे यदि गर्मी लगे तो कुछ दिन बंद कर दे। फिर दोबारा शुरू कर दे। इससे भी सफ़ेद दाग ठीक हो जाते हैं। 

5- बावची 100 ग्राम व चित्रक्मूल 100 ग्राम ले। मोटा मोटा कूट ले। रात को 2 चम्मच यह मिश्रण +1 कप पानी +2 कप दूध उबाले। जब केवल दूध बच जाए। तब छान कर दहि जमा दे। इस दहि मे ½ कप पानी मिलाकर लस्सी बना ले। इसमे नमक या चीनी ना मिलाए। एसे प्रतिदिन पिए। कभी कभी इसमे से मक्खन निकाल कर उस मक्खन को सफ़ेद दागों पर लगाए व लस्सी पी ले। 

6- यदि लगाने कि दवाई ना बना सके तो स्वामी रामदेव का कायाकल्प तेल या किसी दूसरी कम्पनी का मरीच्यादी तेल ले। सफ़ेद दाग पर दवाई लगाने से पहले उसे सूखे कपड़े से रगड़ लें। 

7- कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन कालेड़ा (राजस्थान) या गुरुकुल काँगड़ी का “पञ्चनिम्ब चूर्ण PANCHNIMBA CHURNA ” भी चमत्कारी लाभ करता है। ½ से 1 चम्मच सुबह शाम ले। इससे भी बहुत अधिक लाभ होता है। 

8- 100 ग्राम बावची को लाकर साफ करके कूट ले। इसमे खैर व विजयसार का काढ़ा डाल कर धूप मे सुखाए। काढ़ा इतना ही डालें कि 1 दिन मे सुख जाए। इस तरह कम से कम 10 दिन करे। यदि इस तरह 21 बार काढ़ा डालकर सूखा ले तो अधिक अच्छा। उसके बाद इस बावची को बारीक पीस ले। ½ चम्मच इस बावची पाउडर को सुबह शाम आंवले के पानी से ले। बहुत जल्दी लाभ होता है। 

खैर विजयसार का काढ़ा बनाने की विधि- जड़ी बूटी वाले से 250 ग्राम खैर की छाल व 250 ग्राम विजयसार की लकड़ी ले आए। कूट कर मिला ले। 

50 ग्राम इस मिश्रण को 400 ग्राम पानी मे पकाए। धीमी आग पर पकाए। जब लगभग 100 ग्राम पानी रह जाए तब छान ले। ठंडा होने पर जो बचा हुआ अंश है उसे कपड़े मे से निचोड़ ले। यह काढ़ा साफ बर्तन मे 1 रात के लिए रख ले। सुबह ऊपर का साफ पानी निथार ले। जो अंश नीचे बैठ जाए उसे छोड़ दे। {छानने के बाद जो बचता है उसे कचरे मे ना फेंके। किसी पेड़ की जड़ में डाल दे। खाद का काम करेगी।}यह काढ़ा प्रतिदिन ताजा बनाए।

आंवले का पनि बनाने की विधि- रात को 2 कप पानी मे 2 चम्मच आंवला चूर्ण डाल दे। सुबह छान कर इस पानी का प्रयोग करे।

प्राणायाम के लाभ

श्वास लेने और छोड़ने के बीच हम कुछ क्षण के लिए रुकते हैं। इस रुकने की क्रिया को ही कुंभक कहते हैं। जब श्वास लेकर हम अंदर रुकते हैं तो उसे आभ्यांतर कुंभक कहते हैं और जब बाहर रुकते हैं तो उसे बाह्य कुंभक कहते हैं।

अब आप जानकर श्वास छोड़े और लें। छोड़ते वक्त तब तक श्वास छोड़ते रहें जब तक छोड़ सकते हैं और फिर तब तक श्वास दोबारा न लें जब तक उसे रोकना मुश्किल होने लगे। फिर श्वास तब तक लेते रहें जब तक पूर्ण न हो जाएं और फिर श्वास को सुविधानुसार अंदर ही रोककर रखें। इस तरह पूरक, रेचक और कुंभक का अभ्यास करें।

अब रेचक पर ध्यान दें : पूरक, रेचक और कुंभक के अच्छे से अभ्यास के बाद सिर्फ रेचक क्रिया ही करें। श्वास छोड़ने की प्रक्रिया को ही रेचक कहते हैं और जब इसे थोड़ी ही तेजी से करते हैं तो इसे कपालभाती प्राणायाम कहते हैं।

एडिशनल : सिर्फ 10 मिनट के लिए श्वास लेने और छोड़ने का एनर्जी वॉल्यूम खड़ा कर दें। ऐसा वॉल्यूम जो आपकी बॉडी और माइंड को झकझोर दे। फिर चीखें, चिल्लाएं, नाचें, गाएं, रोएं, कूदें और हंसें। यह रेचक प्रक्रिया है।

इसका लाभ : इस क्रिया से सारा स्ट्रेस बाहर आ जाता है। ‍अनावश्यक चर्बी घटकर बॉडी फिट रहती है और भीतर जो भी दूषित वायु तथा विकार है, उसके बाहर निकलने से चेहरे और शरीर की चमक बढ़ जाती है। इसे करने के बाद 10 मिनट का ध्यान करें।

इससे आपका तन, मन और प्राण रिफ्रेश हो जाएगा। यह शरीर को स्वस्थ रखने में सक्षम है। हालांकि इसका अभ्यास किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करना चाहिए।

कब्‍ज दूर करने के घरेलू उपचार

सामान्य रूप से मल का निष्कासन ना होना तथा आंतों में मल का रूकना कब्ज कहलाता है। अनियमित दिनचर्या और खान-पान के कारण कब्‍ज और पेट गैस की समस्‍या आम बीमारी की तरह हो गई है। कब्‍ज रोगियों में गैस व पेट फूलने की शिकायत भी देखने को मिलती है। लोग कहीं भी और कुछ भी खा लेते हैं। खाने के बाद बैठे रहना, डिनर के बाद तुरंत सो जाना ऐसी आदतें हैं जिनके कारण कब्‍ज की शिकायत शुरू होती है। पेट में गैस बनने की बीमारी ज्‍यादातर बुजुर्गों में देखी जाती है लेकिन यह किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकती है। आइए हम आपको कब्‍ज से बचने के घरेलू नुस्‍खे के बारे में जानकारी देते हैं;
  • सुबह उठने के बाद नींबू के रस को काला नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन कीजिए। इससे पेट साफ होगा।
  • 20 ग्राम त्रिफला रात को एक लिटर पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठने के बाद त्रिफला को छानकर उस पानी को पी लीजिए। इससे कुछ ही दिनों में कब्‍ज की शिकायत दूर हो जाएगी।
  • कब्‍ज के लिए शहद बहुत फायदेमंद है। रात को सोने से पहले एक चम्‍मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिलाकर नियमित रूप से पीने से कब्‍ज दूर हो जाता है।
  • हर रोज रात में हर्र को पीसकर बारीक चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को कुनकुने पानी के साथ पीजिए। कब्‍ज दूर होगा और पेट में गैस बनना बंद हो जाएगा।
  • रात को सोते वक्‍त अरंडी के तेल को हल्‍के गरम दूध में मिलाकर पीजिए। इससे पेट साफ होगा।
  • इसबगोल की भूसी कब्‍ज के लिए रामबाण दवा है। दूध या पानी के साथ रात में सोते वक्‍त इसबगोल की भूसी लेने से कब्‍ज समाप्‍त होता है।
  • पका हुआ अमरूद और पपीता कब्‍ज के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अमरूद और पपीता को किसी भी समय खाया जा सकता है।
  • किशमिश को पानी में कुछ देर तक डालकर गलाइए, इसके बाद किशमिश को पानी से निकालकर खा लीजिए। इससे कब्‍ज की शिकायत दूर होती है।
  • पालक का रस पीने से कब्‍ज की शिकायत दूर होती है, खाने में भी पालक की सब्‍जी का प्रयोग करना चाहिए।
  • अंजीर के फल को रात भर पानी में डालकर गलाइए, इसके बाद सुबह उठकर इस फल को खाने से कब्‍ज की शिकायत समाप्‍त होती है।
  • मुनक्‍का में कब्‍ज नष्‍ट करने के तत्‍व मौजूद होते हैं। 6-7 मुनक्‍का रोज रात को सोने से पहले खाने से कब्‍ज समाप्‍त होती है।
  • कब्‍ज की समस्‍या से बचने के लिए नियमित रूप से व्‍यायाम और योगा करना चाहिए। गरिष्‍ठ भोजन करने से बचें।
इन नुस्‍खों को प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। अपनाने के बाद भी अगर पेट की बीमारी ठीक नही होती तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्‍य कीजिए।

कद अथवा लम्बाई बढ़ाने के घरेलू उपाय

लोग अपनी लंबाई बढाने के लिये बाजार में मिलने वाली कई तरह की दवाइयों का भी सेवन करने लगते हैं  जिससे तमाम साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। हम आपके लिए कुछ प्राकृतिक तरीके दे रहे हैं जिसके बिल्कुल भी साइड इफेक्ट नहीं होगें और आपकी हाइट 18 साल के बाद भी बढ़ सकती है।
  • लम्बाई और स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए गेहूँ के दाने के बराबर मात्रा में चूना रोज दही, दाल या सब्जी में मिलाकर खाना चाहिए । या पानी में मिला के पीना चाहिए । इससे लम्बाई और स्मरण शक्ति दोनों का ही विकास होता है। शरीर में चैतन्यता और चपलता आती है। ( लेकिन पथरी के मरीज चूने का सेवन ना करें )
  • कद बढ़ाने के लिये सूखी नागौरी, अश्वगंधा की  जड़(बराबर की मात्रा में ) को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में खांड मिलाकर किसी टाईट ढक्कन वाली कांच की शीशी में रखें। इसे रात सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध के साथ लें। इससे दुबले व्यक्ति भी मोटे हो जायेंगे। कम कद वाले लोग लंम्बे हो सकते हैं। इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण का सेवन करने से कमजोर व्यक्ति अपने अंदर स्फूर्ति महसूस करने लगता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लेते रहें। इस चूर्ण को शीतकाल में लेने से अधिक लाभ मिलता है।
  • मनुष्य को अपने हाथ तथा पैरों के बल झूलने तथा दौड़ने जैसी कसरतों के अलावा भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम तथा विटामिनों की जरूरत बहुत आवश्यक है तथा पौष्टिक भोजन करने से लम्बाई बढ़ने में फायदा मिलता है।
  • एक से दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, एक से दो ग्राम काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है। साथ में पादपश्चिमोत्तानासन, 'पुल्ल-अप्स'करने से एवं हाथ से शरीर झुलाने से ऊँचाई बढ़ती है। इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें और जिन्हें आंव की शिकायत हो,तो अश्वगंधा न लें।
  • विटामिन डी- लंबाई बढ़ाने के लिए जिस विटामिन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनमें से एक है विटामिन डी। अच्छी तरह से कैल्शियम को हड्डी में अवशोषित करने के लिए, हड्डी के विकास के लिए और प्रतिरक्षा प्रणाली के बेहतर कार्य करने के लिए आपको विटामिन डी की जरूरत होती है जो दाल, सोया मिल्कर, सोया बीन, मशरूम और बादाम आदि में पाया जाता है।

मोटापा दूर करें बिना मेहनत करे

  • चाय में पुदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
  • खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद कालीमिर्च व नमक छिड़क कर खाएं। इससे आपको विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन एक साथ मिलेंगे।
  • रोज पपीता खाएं। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर एक्ट्रा फेट्स कम होती है।
  • दही का सेवन करने से शरीर की एक्ट्रा फेट्स घटती है।
  • छोटी पीपल का बारीक चूर्ण कर उसे कपड़े से छान लें। इस चूर्ण को रोजाना तीन ग्राममात्रा में सुबह के समय छाछ के साथ लें। इससे निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है और कमर पतली हो जाती है।
  • पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।
  • सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।
  • एक चम्मच पुदीना रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर लें। इससे मोटापा कम होता है।
  • अगर मोटापा कम नहीं हो रहा है, तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके वजन को काबू में किया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से जलन पैदा होती है, जो भूख कम करती है।इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
  • दो बड़े चम्मच मूली के रस में शहद मिलाएं। इसमें बराबर मात्रा में पानी मिलाएं और पिएं। ऎसा करने से 1 माह के बाद मोटापा कम होने लगेगा।
  • रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिला कर लीजिए। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।
  • ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं सेपरहेज करें। शक्कर, आलू और चावल में अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं।
  • केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।
  • योग ,व्यायाम ,टहलना ,परिश्रम भी करें !

उच्च रक्तचाप का घरेलू उपचार

जिनको हाई बीपी (रक्तचाप ) उनके लिए दवाइयों से बचने के लिए एक सुंदर, सफल उपाय खर्च भी खास नही और फायदा भी पक्का है -हाई बीपी के जो भी बीमार हो या मरीज हो उनके लिए ये आशीर्वाद रूप है -




आपको बस पहले दिन एक दाना किसमिस रात को गुलाब जल मे भीगा देना है और सुबह चबा के खाना है बस गुलाबजल उतना ले जितने मे किसमिस भीग जाए-

फिर दूसरे दिन दो किसमिस के दाने -

तीसरे दिन तीन -

चौथे दिन चार -

पाचवे दिन पाँच -

तो छटे दिन छे -

ऐसे 21 दाने तक बढाते ही चले जाओ -

फिर ये प्रयोग को 10-15 दिन बंद करें दे 

इसके बाद अब आपको वापस उसी प्रकार शुरू करना है -

फिर एक से 21 दाने तक -कोर्स शुरू करे जैसे पहले किया था-

बस ऐसे 1-2 कोर्स करें आपकी हाई बीपी चली जाएगी-

आप गुलाबजल बाजारू न ले ध्यान रखे घर में ही बना ले -

गुलाब के पत्तों को पानी मे उबाल कर उसकी भाप जमा कर ले -

ये प्रयोग करे और परिणाम खुद ही देखे -

साथ में ये भी करे :-


अपनी छोटी उंगली के नीचे की रेखा को ऊपर दबाने पे हृदय प्रॉब्लम में अद्भुत लाभ होता है हृदयामृत वटी दो-दो गोली सुबह शाम ले -

किसी भी तरह के हृदय रोगों के लिए लोकी का जूस बहुत ही जादा लाभकारी होता है लोकी के 200 एम् एल जूस में तुलसी व पुदीना के 7-7 पत्ते व 2-3 काली मिर्च साथ में मिला के पिए तो बहुत लाभ होगा-

अर्जुनारिस्ट को खाना खाने के बाद 4-4 चम्मच  ले सकते हैं-

राजीव भाई द्वारा अनुमोदित -

उपचार और प्रयोग -

Saturday, October 31, 2015

नाभि टलने का घरेलू उपचार -

आधुनिक जीवन में खानपान आहार विहार,भागम भाग की टेंसन भरी जिंदगी येसे में हाथ -पांव में किसी प्रकार झटका लग जाए या फिर चढ़ते-उतरते चलते समय ढीला पाँव पड़ने से नाभि में स्थित समान वायु चक्र अपने स्थान से दायें-बाएं -उपर-निचे सरक जाता है इसे नाभि टलना कहा जाता है-




आधुनिक जीवन-शैली इस प्रकार की है कि भाग-दौड़ के साथ तनाव-दबाव भरे प्रतिस्पर्धापूर्ण वातावरण में काम करते रहने से व्यक्ति का नाभि- चक्र निरंतर क्षुब्ध बना रहता है। इससे नाभि अव्यवस्थित हो जाती है।

परिणाम ये होता है कि पेट दर्द ,पेचिस -पतले दस्त ,पेट आम जाना पेट फूलना -अरूचि -हरारत आदि होता है !और जहाँ तक इसे अपने नियत स्थान पर पुन:स्थापित नही कर दिया जाये रोगी का आराम नहीं होता है और लापरवाही करने पर ये हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेता है वैसे नाभि पुरुषो में बायीं तरफ और स्त्रियों में दायी ओर टला करती है -

योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है।

कई बार नाभि के टल जाने पर भी कब्ज की शिकायत हो जाती है। जब तक नाभि टली है, तब तक कब्ज ठीक नहीं हो सकता। इसके लिए हमें सबसे पहले अपनी नाभि की जांच करवा लेनी चाहिए। अगर नाभि स्पंदन केंद से खिसक गई है तो उसे टली नाभि कहते हैं। इसके सही जगह में आते ही कब्ज की परेशानी दूर हो जाती है। 



नाभि  में लंबे समय तक अव्यवस्था चलती रहती है तो उदर विकार के अलावा व्यक्ति के दाँतों, नेत्रों व बालों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। दाँतों की स्वाभाविक चमक कम होने लगती है। यदाकदा दाँतों में पीड़ा होने लगती है। नेत्रों की सुंदरता व ज्योति क्षीण होने लगती है। बाल असमय सफेद होने लगते हैं।आलस्य, थकान, चिड़चिड़ाहट, काम में मन न लगना, दुश्चिंता, निराशा, अकारण भय जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों की उपस्थिति नाभि चक्र की अव्यवस्था की उपज होती है।


नाभि स्पंदन से रोग की पहचान का उल्लेख हमें हमारे आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धतियों में मिल जाता है। परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि हम हमारी अमूल्य धरोहर को न संभाल सके। यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो अग्न्याष्य खराब होने लगता है। इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

लक्षण :-


यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं।


बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है, सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफ-जनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।


दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं। इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है। गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है। मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।


यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत, तो मोटापा हो जाता है। वायु विकार हो जाता है। यदि नाभि नीचे की ओर (रीढ़ की हड्डी की तरफ) चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए, वह दुबला होता चला जाएगा। नाभि के खिसकने से मानसिक एवंआध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं।


नाभि को पाताल लोक भी कहा गया है। कहते हैं मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में छः मिनट तक रहते है।


यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब स्त्रियाँ गर्भधारण योग्य होती हैं। यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं।


अकसर यदि नाभि बिलकुल नीचे रीढ़ की तरफ चली जाती है तो फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। कई वंध्या स्त्रियों पर प्रयोग कर नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया गया। इससे वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो गईं। कुछ मामलों में उपचार वर्षों से चल रहा था एवं चिकित्सकों ने यह कह दिया था कि यह गर्भधारण नहीं कर सकती किन्तु नाभि-चिकित्सा के जानकारों ने इलाज किया।



नाभि चैक करने के कई तरीके :-


दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को सामने सीधा करके मिला लें। हथेलियों के बीच स्थित रेखाओं को आपस में मिलाकर देखें कि दोनों हाथों की छोटी उंगली समान है या छोटी-बड़ी दिखाई दे रही है। अगर वे समान है, तो नाभि ठीक है। यदि उंगलियां छोटी- बड़ी लगती हैं, तो इसका मतलब नाभि टली हुई है।

सुबह खाली पेट हाथ और पैरों को ढीला छोड़कर सीधे लेट जाएं। अब सीधे हाथ का अंगूठा व उसके साथ वाली दो अंगुलियों को मिलाकर पेट में नाभि स्थान पर रखें और दबाकर देखें कि नाथि स्पंदन महसूस हो रहा है या नहीं। यदि स्पंदन नाभि के ठीक बीच में है, तो नाभि ठीक है। अगर वो किनारे या ऊपर-नीचे है, तो नाभि टली है। 

यह स्पंदन नाभि से थोड़ा हट कर महसूस होता है ; जिसे नाभि टलना या खिसकना कहते है .यह अनुभव है कि आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।

नाभि के ऊपर या किनारे हो जाने से कब्ज होता है और नीचे की तरफ खिसकने से लूज मोशन हो जाते हैं। अगर नाभि टली हो, तो उसको आप बड़ी आसानी से अपने आप ठीक कर सकते हैं।




कैसे इसे सही करे :-


दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं। हथेली के बीच की रेखा मिलने के बाद जो उंगली छोटी हो यानी कि बाएं हाथ की उंगली छोटी है तो बायीं हाथ को कोहनी से ऊपर दाएं हाथ से पकड़ लें। इसके बाद बाएं हाथ की मुट्ठि को कसकर बंद कर हाथ को झटके से कंधे की ओर लाएं। ऐसा ८-१० बार करें। इससे नाभि सेट हो जाएगी।

कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कर लें। इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं। सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है। कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें। फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें। ३-३ बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी। 

इसके अलावा उत्तानपादासन, मत्स्यासन, धनुरासन व चक्रासन भी नाभि सेट करने में कारगर होते हैं। 

कमर के बल लेटकर पेट की मालिश भी की जा सकती है। इसके लिए सरसों का तेल लेकर पेट पर लगाएं और नाभि स्पंदन जो ऊपर या साइड में सरक गया है, उस पर अंगूठे से दबाव डालते हुए नाभि केंद में लाने का प्रयास करें।

दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।

मरीज को सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा दस्त आदि उपद्रव शांत हो जाते हैं।

नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।

नाभि बार बार स्थान च्युत होने से रोकने के लिए नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहिनाई जाती है -कमर पेट हमेशा कस कर बांधे जाने चाहिए -

उपचार और प्रयोग-

कलौंजी भी क्या हर मर्ज की दवाई है -

प्रक्रति ने हमें जीवन में वो सब कुछ दिया है जो वरदान स्वरूप है तभी तो किसी ने ये कहा है-क्या खूब ये कलौंजी बनाई है-जो मौत के सिवा हर मर्ज की दवाई है-कलौंजी (Nigella) एक वार्षिक पादप है जिसके बीज औषधि एवं मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं-




अलग-अलग भाषा में इसके नाम :-



संस्कृत-कृष्णजीरा

उर्दू - كلونجى कलौंजी

बांग्ला - कालाजीरो

मलयालम - करीम जीराकम

रूसी - चेरनुक्षा

तुर्की -çörek otu कोरेक ओतु

फारसी - शोनीज

अरबी- हब्बत-उल-सौदा, हब्बा-अल-बराकाحبه البركة,

तमिल - करून जीरागम

तेलुगु - नल्ला जीरा कारा



इसका स्वाद हल्का कड़वा व तीखा और गंध तेज होती है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों नान, ब्रेड, केक और आचारों में किया जाता है। चाहे बंगाली नान हो या पेशावरी खुब्जा (ब्रेड नान) या कश्मीरी पुलाव हो कलौंजी के बीजों से जरूर सजाये जाते हैं-


कलौंजी में पोषक तत्व :-


इसमें 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा होते है। इसमें 100 ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। इसमें आवश्यक वसीय अम्ल 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं। इसमें 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं। निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है-


थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है। तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है। कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं। कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैँ और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं। शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं-


कैंसर में उपचार:-



जेफरसन फिलाडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है और उन्हें नष्ट करता है। शोध की आरंभिक अवस्था में ही शोधकर्ता मानते है कि शल्यक्रिया या विकिरण चिकित्सा करवा चुके कैंसर के रोगियों में पुनः कैंसर फैलने से बचने के लिए कलौंजी का उपयोग महत्वपूर्ण होगा। थाइमोक्विनोन इंटरफेरोन की संख्या में वृध्दि करता है, कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है, कैंसर कोशिकाओं का सफाया करता है और एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाले बी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है-


कीटाणुरोधी गतिविधि:-




कलौंजी का सबसे ज्यादा कीटाणुरोधी प्रभाव सालमोनेला टाइफी, स्यूडोमोनास एरूजिनोसा, स्टेफाइलोकोकस ऑरियस, एस. पाइरोजन, एस. विरिडेन्स, वाइब्रियो कोलेराइ, शिगेला, ई. कोलाई आदि कीटाणुओं पर होती है। यह ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पोजिटिव दोनों ही तरह के कीटाणुओं पर वार करती है। विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसकी कीटाणुरोधी क्षमता ऐंपिसिलिन के बराबर आंकी गई। यह फंगस रोधी भी होती है।


कलौंजी में मुख्य तत्व थाइमोक्विनोन होता है। विभिन्न भेषज प्रयोगशालाओं ने चूहों पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि थाइमोक्विनोन टर्ट-ब्यूटाइल हाइड्रोपरोक्साइड के दुष्प्रभावों से यकृत की कोशिकाओं की रक्षा करता है और यकृत में एस.जी.ओ.टी व एस.जी.पी.टी. के स्राव को कम करता है।


मधुमेह प्रयोग :-



कई शोधकर्ताओं ने वर्षों की शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में उपस्थित उड़नशील तेल रक्त में शर्करा की मात्रा कम करते हैं-


शोथ(सुजन ) पे प्रयोग :-



कलौंजी दमा, अस्थिसंधि शोथ आदि रोगों में शोथ (इन्फ्लेमेशन) दूर करती है। कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा करते हैं, सूजन कम करते हैं ओर दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं-


आंत्र कृमि:-



शोधकर्ता कलौंजी को पेट के कीड़ो (जैसे टेप कृमि आदि) के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं। पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलाते हैं। मीठे से परहेज जरूरी है-


एच.आई.वी. :-



मिस्र के वैज्ञानिक डॉ. अहमद अल-कागी ने कलौंजी पर अमेरीका जाकर बहुत शोध कार्य किया, कलौंजी के इतिहास को जानने के लिए उन्होंने इस्लाम के सारे ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने माना कि कलौंजी, जो मौत के सिवा हर मर्ज को ठीक करती है, का बीमारियों से लड़ने के लिए अल्ला ताला द्वारा हमें दी गई प्रति रक्षा प्रणाली से गहरा नाता होना चाहिये। उन्होंने एड्स के रोगियों पर इस बीज और हमारी प्रति रक्षा प्रणाली के संबन्धों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किये। उन्होंने सिद्ध किया कि एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृध्दि होती है। अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी-


कलौंजी-एक रामबाण दवा:-



मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है। 1996 में अमेरीका की एफ.डी.ए. ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था। कलौंजी दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है। कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है। कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है। लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है। यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है। कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है-


कैंसर के उपचार में कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं। 2 किलो गेहूँ और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं। आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें-


अन्य प्रयोग:-



कैंसर के उपचार में कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं। 2 किलो गेहूँ और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं। आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें-


खाँसी व दमा छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें-


अवसाद और सुस्ती एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें। आप को बहुत फर्क महसूस होगा-


स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें-


मधुमेह एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पितपाप्र को पीस कर चूर्ण बना लें। आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें-


गुर्दे की पथरी और मूत्राशय की पथरी पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें। इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें-


उल्टी और उबकाई एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें-


हृदय रोग, रक्त चाप और हृदय की धमनियों का अवरोध जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीने तक लें-


सफेद दाग और कुष्ठ रोग 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें-


कमर दर्द और गठिया हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा-


सिर दर्द माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा-


अम्लता और आमाशय शोथ एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक प्याला दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाशय की सब तकलीफें दूर हो जाती है-


बाल झड़ना बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शैंपू कर लें व अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा-


नेत्र रोग और कमजोर नजर रोज सोने के पहले पलकों ओर आँखो के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और एक बड़ी चम्मच तेल को एक प्याला गाजर के रस के साथ एक महीने तक लें-


दस्त या पेचिश एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा-


रूसी 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेहंदी को मिला कर गर्म करें। ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैंपू कर लें-


मानसिक तनाव एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं-


स्त्री गुप्त रोग स्त्रियों के रोगों जैसे श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, प्रसवोपरांत दुर्बलता व रक्त स्त्राव आदि के लिए कलौंजी गुणकारी है। थोड़े से पुदीने की पत्तियों को दो गिलास पानी में डाल कर उबालें, आधा चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर दिन में दो बार पियें। बैंगन, आचार, अंडा और मछली से परहेज रखें-


पुरूष गुप्त रोग स्वप्नदोष, स्तंभन दोष, पुरुषहीनता आदि रोगों में एक प्याला सेब के रस में आधी छोटी चम्मच तेल मिला कर दिन में दो बार 21 दिन तक पियें। थोड़ा सा तेल गुप्तांग पर रोज मलें। तेज मसालेदार चीजों से परहेज करें-


इसके अतिरिक्त सुन्दर व आकर्षक चेहरे के लिए, एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच जैतून के तेल में मिला कर चेहरे पर मलें और एक घंटे बाद चेहरे को धोलें। कुछ ही दिनों में आपका चेहरा चमक उठेगा। एक बड़ी चम्मच तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे-


कलौंजी के बारे में कई प्राचीन ग्रन्थों में पढ़ने के बाद मैं भी इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि कलौंजी एक महान औषधि है जिसमें हर रोग से लड़ने की अपार, असिमित और अचूक क्षमता है-


उपचार और प्रयोग-

Friday, October 30, 2015

लोग जादुई फार्मूला ढूढ़ रहे है मोटापे का -

यह सच है कि मोटापा कम करने का ऐसा कोई जादुई फॉर्मूला अभी तक नहीं बना है लेकिन अगर रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इसे जरूर कम किया जा सकता है-



आज कल लोग मोटापा कम करने के लिये ना जाने कौन कौन से हथकंडे अपनाते हैं, तो ऐसे में अगर आप इस आसान से घरेलू नुस्‍खे अपना लेगें तो इसमें कोई बुरार्इ नहीं है-


मैं अक्सर ब्लॉग पर देखता हूं कि तरह तरह के उपाय लोग अक्सर एक दूसरे से बांटते हैं। उनमें सबसे ज्यादा मोटापा कम करने के उपाय है। ये अजीब सी बात है-

आज से 15-20 साल पहले लोग पूछा करते थे कि हम मोटे कैसे हो सकते हैं...? जबकि आज लोग पूछते हैं कि हम पतले कैसे हो सकते हैं....? अब में और तब में बेशक बहुत अंतर आ गया है। हमारा रहन सहन पूरी तरह से बदल गया है। हमारी खाने पीने की आदत  बदल गयी है। औऱ बदल गयी है जीवनशैली। हालांकि बाजार में इन दिनों मोटापा कम करने के हजारों दवा मौजूद हैं। इनमें से आधी से ज्यादा सिर्फ खट्टे मीठे चूर्ण हैं। जिन्हें खाने के बाद पता चलता है कि हम ठगे गए। खैर ये तो बाजार की बात है। जिसकी ज्यादा डिमांड होती है वो बाजार में बेचा जाता है। मोटापा कम करने के लिए हम अक्सर दवाओं की ओर भागते हैं। लेकिन, कभी अपनी दिनचर्या को ठीक करने की बात नहीं सोचते-

एक समय था जब लोग सुबह पार्कों में जाकर व्ययाम किया करते थे। लोगों का खानपान बेहद संतुलित था। लेकिन, आज चाइनिंग फास्ट फूड और साँस ने ना सिर्फ बच्चों की बल्कि बड़ों के भी पेट खराब किए हुए हैं। इसमें बाजार में मिलने वाला लाल साँस  जो असल में सड़े कद्दू का होता है औऱ सोया साँस  जो काले रंग का होता है और चाउमीन में डला होता है। सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन, हम इन्हें लगातार खा रहे हैं औऱ पेट की बैंड बजा रहे हैं। बस जिह्वा का टेस्ट नहीं बिगडना चाहिए भले पेट बिगड जाए बीमारियाँ लग जाए- .

गलत ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान, रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो पेट बाहर निकल आता है, कमर मोटी हो जाती है और कूल्हे भारी हो जाते हैं। इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है। जबड़ों के नीचे गरदन मोटी होना और तोंद बढ़ना मोटापे के मोटे लक्षण हैं-

मोटापे से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है, वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं, लिहाजा मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता। बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं। हर समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता है। पहले तो स्त्रियां घर में कपडे इत्यादि धो लेती थी उनकी एक्सार्साइज हो जाती थी इसलिए मोटापा नहीं होता था ...जबसे वाशिंग मशीन आई है एक मुसीबत साथ लाई है मोटापा ....कपडे मशीन में डाले और सोफे पे रक्खा रिमोट टी वी का हाथ में लिया  सीरियल नहीं छूटे बस मोटापा फिर किसको आएगा ....?

शरीर पर अधिक चर्बी बढ़ने से पेट बाहर निकल आता है और हाथ-पैर, गर्दन, कमर इत्यादि जगहों पर भी चर्बी जमा हो जाती है। जिससे शरीर बेड़ौल होने लगता हैं बहुत कम लोग ऐसे हैं जो वसा से दूर रह पाते हैं। यानी लोग मिठाईयों, तले पदार्थों और स्‍नैक्स इत्यादि को आसानी से नहीं छोड़ पाते।पहले सुबह चबा- चबा लोग चने का सेवन करते थे मुंह व्यायाम होता था और सेहत भी ठीक हो जाती थी अब नींद खुली तो बेड पे चाय और मेगी का सेवन होता है जबकि मैदा और आरारोट सिर्फ कब्ज ही बना सकता है -

भोजन के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो जाता है-

आहार भूख से थोडा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से तनकर पेट बड़ा होने लगता है। दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए-

अब मैं आपको कुछ ऐसे उपाय बताता हूं जो मोटापा कम करने में सहायत सिद्ध हो सकते हैं। और आपकी सेहत भी ठीक कर सकते हैं-

बिना खर्च मोटापा घटाए -


पहला उपाय ये है कि आपको आलस  छोड़ना पड़ेगा और समय से विस्तर से उठ जाए । सुबह जल्दी उठने की आदात डाले औऱ सैर पर निकले।कम से कम एक घंटा सैर करें और हल्का व्ययाम करें। हो सके तो तेज तेज चले-

सुबह उठकर गर्म पानी पीये कम से कम दो गिलास।और पेट साफ होने के बाद एक घंटा कुछ ना खाए-

नीबूं पानी पीये अपनी सेहत हिसाब से। नमकीन या मीठा। और इसमें शहद मिलाया जाए तो मोटापा तेजी से कम होता है।  इसके अलावा नमक कम खाये-

पत्ता गोभी खाये खूब बढ़िया उबालकर।

तुलसी के पत्तो का रस 10 बूंद और दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी मे मिलाकर कुछ दिन पीने से मोटापा कम होता है  तली -भुनी व मैदे से बनी चीजे न खाये। ताजी सब्जियां व ताजे फल लें। खाने के बाद एक कप तेज गरम पानी घूंट लेकर पीए। मोटापा कम होगा-

अनामिका अंगुली के टौप भाग पर अंगूठे से दबाकर कम से कम 5 मिनट तक एक्यूप्रेशर करे। दिन में दो या तीन बार ऐसा कर सकते हैं। शरीर का वेट सन्तुलित रहेगा। इसके अलावा अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे पीना छोड़े। अगर नहीं छोड़ सकते तो कम कर दें। और साथ ही इसके साथ तली भुनी चीजे खाना बंद करें। इसकी जगह सलाद खाए। और अगर आप मांसाहारी है तो आप। रोस्टेड चिकन खाये। वो भी एक या दो पीस और हां...इस दिन एक घंटा ज्यादा व्यायाम करना ना भूले-

खाना खाते समय कभी पानी न पीएं। खाने के कम से कम 10-15 मिनट बाद गुनगुना पानी पीएं। बादी या वात पैदा करने वाले पदार्थ जैसे चावल, अरबी, मीट आदि का सेवन कम ही करें और रात को तो बिल्कुल न खाएं। खाने के बाद टीवी नहीं देखें और न तत्काल सोएं बल्कि कुछ देर टहलें-

हफ्ते में एक बार गर्म पानी से पेट पर सेक करें। ऎसा करने से पसीना अधिक आएगा और चर्बी कम होगी। पेट की स्किन में कसाव आता है-

खाने में प्रोटीन की मात्रा बढाएं। ये पचने में ज्यादा समय लेते हैं और पेट देर तक भरा रहता है। अंडे का सफे द भाग, फैट फ्री दूध व दही, ग्रिल्ड फिश और सब्जियां आपको स्लिम व फिट बनाएंगी-

दोपहर और रात के बीच में भूख लगने पर तले स्नेक्स खाने के बजाय ग्रीन या ब्लैक टी पिएं। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है जो मस्तिष्क में रिलैक्सग केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।तथा गर्भावस्था के समय पेट पर तेल से धीरे-धीरे मालिश करते रहना चाहिए,प्रसव बाद हल्के दबाव के साथ पेट को बांध कर रखें। ऎसा करने पेट ज्यादा उभरेगा नहीं-

भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा-

पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए। इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा-

अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें। लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर पानी  में भिगो दें। सुबह पीस लें। और उसमें भुनी हींग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए-



एक और जादुई फार्मूला भी अपनाये :-


यदि आप इस चाय को अगर आप नियमित पीयेगे  तो आप देखते ही देखते पतली हो जायेगे । चलो आपको बता ही देते  है कि कैसे बनाई जाती है ये हनी एंड सिनामन चाय-


सामग्री:-

शहद - 2 चम्‍मच

दालचीनी - 1 चम्‍मच

पानी - एक कप यानी 237 मिलीलीटर


व‍िधि-


1 कप पानी में 1 भाग दालचीनी और 1 चम्‍मच शहद मिला कर खौला लें। अब एक कप में दूसरा भाग दालचीनी डाल कर उसके ऊपर से खौलाया हुआ पानी उडे़लें। फिर इसे ढंक दें और पीने लायक ठंडा होने दें। जब पानी ठंडा हो जाए तब उसमें शहद मिला कर मिक्‍स करें। रात को सोने से पहले आधा कप चाय पियें और आधी कप चाय को ठंडा हो जाने के बाद फ्रिज में रख दें। फिर बची हुई चाय को दूसरे दिन बिना गरम किये हुए पियें-

ग्रीन टी क्या है और केसे इसे बनाये -


अन्य कुछ और प्रयोग- 


केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है। अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है-

चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा-

आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए-

एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है-


मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय :-



गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन 20 ग्राम तथा सफ़ेद तिल 50 ग्राम भी मिला दें ! 50 ग्राम दलिये को 400 मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है-

अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है -

मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है -

आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें तथा इसमें रोटी भी शामिल है अब  अपना पेट पहले के 4-6 दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें और दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं तथा सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं  गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें . सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं  बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए . इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं . इस प्रकार 6-7 दिन तक खाते रहें . इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें फिर  5 किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! 6-7 दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें .एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ . भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें -..

एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से मोटापा दूर होता है -

चित्रक कि जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है -

बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है-

सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है-

अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है-

भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है-

विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है-

तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तथा तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है-

रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें। त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है-

हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है-

सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है-

सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है-

गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है-

गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है-

गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है-

गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है-

तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है-

दही को खाने से मोटापा कम होता है।तथा छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है-

100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है-

पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है-

डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है-

एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।तथा एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है। एरंड को अंडी भी कहा जाता है -

पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है-

पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है-

पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है-

जवाखार  35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है। या फिर जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है-

प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है-

मोटापा कम करेगी  यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं-

आपको दूर करना हो शूगर या फिर मोटापा या आ रही हो कैलोरी की दिक्कत तीनों मर्ज में स्टीविया का करेंगे यूज तो होगा लाभ भरपूर-

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विशेष :-

सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो-

रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा-

जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा-


उपचार और प्रयोग -