Friday, October 23, 2015

ये विषाक्त फल और सब्जी है - These toxic fruit and vegetables

जी हाँ -सोच कर हैरान न हो -आज-कल धडल्ले से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है - थोड़े जादा मुनाफे की वजह से - मतलब ये मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन बना बैठा है बस जहाँ पैसे कमाने की बात हो तो मौत बेचने से भी कोई परहेज नहीं है - क्या पता कल उनके ही घर का कोई व्यक्ति या बेटा-बेटी इन विषाक्त सब्जी और फल को खा के बीमार या अपंगता का शिकार हो जाए-




आप रोजमर्रा जो सब्जी या फल का प्रयोग आप करते है -ये सोच कर ही करते है कि आप स्वस्थ रहेगे - मगर ये कालाबाजारी के व्यापारी आपको स्लो-पोइजनिंग फ़ूड तथा वेजिटेबल खाने को मजबूर कर रहे है -


बाजार में उपलब्ध ये सभी चीजें जहरीली हैं। जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी चिंता जाहिर कर सभी आशंकाओं पर मुहर लगा दी है- सब्जी, फल, अनाज, दूध और दवा में मिलावट से लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सब्जी को हरा रंग देने के लिए प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ लीवर, आँत और किडनी को तो नुकसान पहुँचाता ही है, स्त्रियों को बाँझ और पुरुषों को नपुंसक भी बनाता है- इसलिए आज  पहले की अपेक्षा रोगों में बेतहाशा इजाफा हुआ है -

आज रसायन युक्त ,सिंथेटिक दूध,यूरिया की मिलावट दूध में हमारे नौनिहालों को असमय ही रोगों से ग्रसित करता जा रहा है - सरकार मूक दर्शक है और हम खाने पे मजबूर है -

(Today, containing chemicals, synthetic milk, urea in milk adulteration makes our Naunihalon being diagnosed with the disease premature- The government is silent spectator is forced to pay and we eat )

हम ये सोच कर ताज़ी हरी सब्जी खरीद रहे है कि ये विटामिन से भरपूर होगी और उसका मूल्य भी अधिक चुका रहे है पर क्या पता आप ये जहरीली सब्जी और फल अपने घर- अपने को और परिवार को जहर की शौगात अनजाने में ही दे रहे है -

(You poisoned vegetables and fruits to your home, and your family as poison is inadvertently giving )

तो आप थोडा संभले - ये सच है और यह हम नहीं बल्कि खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट कह रही है- बाजार में बिक रहे खाद्य सामान में मिलावट पर पिछले दिनों ही केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने खुद स्वीकारा है कि खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट का स्तर काफी ऊपर पहुँच चुका है-

राज्य खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग के अनुसार यहाँ मिलावट का स्तर 40 फीसदी से ऊपर है-खाद्य पदार्थों में सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ आते हैं- और बात सब्जी की करें तो सब्जी के अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जाता है- वहीं सब्जी का आकार बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का प्रयोग होता है-


आपको पता है कि ये ऑक्सीटोसिन (Oxytocin ) इंजेक्सन वही है जो भैंस को दूध उतारने के लिए लगाया जाता है ये इतना गर्म होता है आपके शरीर के अंदर डिलेवरी पीरियड में महिला को दिया जाए तो उसे पेन शुरू हो के डिलेवरी हो जाती है - अब तो आप समझ ही चुके होगे कि आपके जीवन और आपके बच्चो के जीवन से ये कैसा खिलवाड़ चल रहा है और हम सभी मूक-दर्शक बने है -सब्जियों की फसल जल्द तैयार करने को आक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है-जिससे कैंसर से घातक रोग हो रहे हैं-

असमय लडकियों में जवानी के अंकुर फूटना और युवाओं में स्वप्नदोष ,नामर्दी जैसी बीमारियों का अनदेखा प्रभाव  है जिसे एक डॉक्टर भी जानता है लेकिन वो भी कुछ कर पाने में असमर्थ है -

आज से 30-35 साल पहले लोग जादा स्वस्थ होते थे - जितना काम और मेहनत कर सकते थे आज का युवा कर पाने में असमर्थ महसूस करता है -

बाजार में बिकने वाली सब्जी को हरा रखने के लिए इसमें Malachite green  (कपड़ा रंगने का रसायन) का प्रयोग किया जाता है-जो सब्जी को कृत्रिम रूप से ताजा बनाए रखता है-सब्जी को हरा रंग देने के लिए प्रयोग किए जाने वाला मेलेकाइट ग्रीन लीवर, आँत, किडनी सहित पूरे पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाता है-

अधिकतर बीमारियों की वजह पाचन तंत्र का ठीक से काम न करना होता है- मेलेकाइट ग्रीन का अधिक सेवन पुरुषों में नपुंसकता और औरतों में बाँझपन का भी कारण बन सकता है- यह कैंसर की वजह भी बन सकता है-


बाजार में हरी व चमकदार सब्जी को देखकर लेने का मन होता है - लेकिन किसी को ये नहीं मालूम कि हम रोज सब्जियों में कितना जहर रोजाना खा रहे हैं- इस जहर को खाने से कितनी ही तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं-इन हरी व चमकदार घीया, तरबूज व पेठा आदि सब्जियों और लाल रंग के फलों को रातों रात तैयार करने के लिए ओक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं- हिमांचल के पास सोलन एक जगह है किसी कारण वश मुझे एक बार जाने का अवसर मिला एक फ़ार्म-हाउस में रुका था वहां का माली यही Oxytocin इंजेक्सन लौकी को लगाता जा रहा था -पूछने पे सच्चाई बता दी सुबह देखा तो जो लौकी रात को सौ ग्राम थी सुबह -सुबह सात सौ ग्राम थी - वहां की मंडी से सब्जी दिल्ली और चंडीगढ़ आती है -


रातों- रात तैयार हो जाती है ये सब्जी :-



अब तो आप समझ ही गए होगे कि सुबह होते ही रेहडिय़ों पर आने वाली फल व सब्जियां कितनी जहरीली होती हैं कभी कोई सोचता भी नहीं है लेकिन हम इन सब्जियों और फलों के द्वारा निगलते हैं मीठा एक जहर- जो शाम के समय सब्जियों और फलों को लगाते है और उसे रातों रात इतना बड़ा तैयार कर देते हैं- दरअसल जितनी ज्यादा हरी सब्जी उतना ही उसमें जहर- जब इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो बात चौंकाने वाली थी- छोटी-छोटी घीया और तरबूज देखने में काफी छोटे लग रहे थे- लेकिन इंजेक्शन लगाने के बाद महज 24 घंटों में ही इतना बड़ा कर दिया जाता है कि लोग इन्हें खुश होकर खरीदते हैं-

दिल्ली के एक सब्जी उगाने वाले एक व्यक्ति ने अपना नाम छुपाने की शर्त पर बताया कि उनकी मजबूरी है ऐसा करना- क्योंकि वह भी अपने पेट के लिए ही ऐसा करते हैं- वह जब भी सब्जी उगाते हैं यमुना में पानी आ जाता है और हर साल उनकी सब्जी पानी में बह जाती है- उनके नुकसान की भरपाई नहीं होती- यमुनानदी में पानी कब आ जाए इसका पता नहीं होता- इसलिए वे रोजाना इंजेक्शन लगाते हैं और रोजाना फल व सब्जी तैयार हो जाती है- महज दो माह में ही फल सब्जी का धंधा चलता है-

दूध निकालने में भी होता है इस्तेमाल :-



भैंस को यह इंजेक्शन लगाकर बड़ी ही आसानी से उसका दूध उतारा जाता है- हालांकि ओक्सीटोसिन इंजेक्शन की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है- लेकिन यह धड़ल्ले से बाजार में बिक रहा है और आसानी से मिल जाता है- ये यमुनानगर के मुकाबले यह दूसरी कई जगह भारी तादाद में प्रयोग किया जा रहा है- ओक्सीटोसिन इंजेक्शन का काफी नुकसान शरीर पर होता है ये सामग्री जो भी हम सेवन करते है हमारे जीवन पे इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है -इसके लिए चैकिंग अभियान भी चलाए जाते हैं - मगर तब भी पूर्ण प्रतिबंध नहीं है -

सब्जी व फलों को पकाने के लिए ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन के उपयोग पर शासन पूरी तरह रोक लगाए और ये ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन सिर्फ रजिस्टर्ड डाक्टर के पर्चे पर ही दिया जाए- किसी भी सूरत में इसकी खुली बिक्री नहीं होनी चाहिए- मुनाफा कमाने के लिए व्यवसायी ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन का उपयोग सब्जी व फल पकाने में करते हैं- साथ ही पोल्ट्रीफार्म में चूजों का आकार व वजन बढ़ाने एवं दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए गाय-भैंसों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है-इससे खाद्य पदार्थों में रासायनिक तत्वों का प्रवेश हो जाता है- जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है- इससे आखों की रोशनी कम होने, मोटापा, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, हृदय रोग आदि बीमारियों की आशंकाएं बढ़ जाती है-

आखिर कब तक हम यूँ ही ये विषाक्त फल-और सब्जियों का सेवन करते रहेगे और रोग ग्रसित होते रहेगे- क्या सरकार कुछ कर सकेगी आने वाली नई जनरेशन के लिए ...?

अधिक पोस्ट के लिए -


उपचार और प्रयोग की सभी पोस्ट की सूची

No comments: