Monday, October 05, 2015

मिलावट की पहचान खाने-पीने की वस्तुओ में -Identifying Adulteration In Food- Articles

हर व्यक्ति आधुनिक युग में अपनी मेहनत की कमाई का लगभग 50% भाग खाने-पीने के सामान पर व्यय करता है -क्युकि ये उसकी रोज के आवश्यकता है -



बहुत से परिवार तो अपने कहाँ-पीने के सामान के प्रति सजग रहते है -वो अपने आहार में  प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट विटामिन तथा खनिज लवण आदि को शामिल करते है -


ये सभी पोषक तत्व खाद्य सामग्री द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तभी संभव है जब बाजार में मिलने वाला खाद्य पदार्थ (दालें, अनाज, दूध, मिठाई, मसाले, तेल आदि) मिलावट रहित हों। अपमिश्रित खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है क्योंकि इसमें सस्ते पदार्थ जैसे रंग इत्यादि मिला दिये जाते हैं। इन्हें मिलाने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है जिससे बिक्री ज्यादा होती है परन्तु उनकी Nutrition  प्रभावित होती है व स्वास्थ्य के लिये हानिकारक (Harmful) सिध्द होते हैं-


सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ (food ingredient) जैसे गेहूँ, आटा, दूध, शहद, दालें, मसाले, चाय पत्ती, मेवे, इत्यादि में इस तरह मिलावट की जाती है कि मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावट वाले खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। मिलावट युक्त आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा शरीर में विकार उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है। अपभोक्ता को आर्थिक हानि का भी सामना करना पड़ता है। खाद्य पदार्थों को उपयोग करने से पूर्व यदि मिलावट की जाँच हो जाये तो उपभोक्ता काफी हद तक स्वास्थ्य सबंधित समस्याओं से बच सकता है।

खाद्य अपमिश्रण(Food Adulteration) :-


यदि किसी भोज्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई अभिन्न तत्व निकाल लिया जाए, उसे अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए या दूषित स्त्रोत से प्राप्त किया जाये तथा उसकी गुणवत्ता में कमी आ गयी हो तो उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त भोज्य पदार्थ कहा जाता है।


खाद्य अपमिश्रण क्यों(Why Food Adulteration) :-


प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर के पोषण के लिये आहार के रूप में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बाजार से खरीदता है। कई दुकानदार अपने स्वार्थवश लालच में आकर खाद्य पदार्थों में मिलावट कर देते हैं। जैसे - दूध में पानी मिलाकर बेचना, मसालों में गेरू रंग इत्यादि का मिलाना। इस प्रकार की मिलावट करने से उपभोक्ता को खाद्य पदार्थों में से मिलने वाले पोषक तत्व पूर्ण मात्रा में नहीं मिल पाते हैं तथा मिलावट युक्त आहार (Tincture containing diet) ग्रहण करने से शरीर भी विकारयुक्त हो सकता है। कभी-कभी सरंक्षण एवं संग्रह की अनुचित विधियों को अपनाने से भी भोज्य पदार्थ सही प्रकार से Consumers को उपलब्ध नहीं हो पाता है।


मिलावट का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव(Adverse effects on the health of sophistication) :-


सामान्य रूप से भोज्य पदार्थों में मिलावट लाभ कमाने के लिये की जाती है। उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी जरूर होनी चाहिये कि खाद्य पदार्थों में किस प्रकार की मिलावट की जाती है। तथा इसे कैसे जाँचा जा सकता है ?


खाद्य अपमिश्रण से अंधापन, लकवा तथा टयूमर जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं। सामान्यत: रोजमर्रा जिन्दगी में उपभोग करने वाले खाद्य पदार्थों जैसे दूध, छांछ, शहद, हल्दी, मिर्च पाउडर, धनिया, घीं, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, मसाले, खोया, आटा आदि में मिलावट की जा सकती है। भिन्न प्रकार की मिलावट के प्रतिकूल प्रभाव भी भिन्न होते हैं। प्रस्तुत सारणी में खाद्य पदार्थों में सभांवित मिलावटी पदार्थ तथा उनसे होने वाली बीमारियों के नाम इंगित है।


भोज्य पदार्थ मिलावटी पदार्थ (Adulterated food items substance) :-

आइये आपके लिए एक जानकारी कि क्या मिलाया जाता है -और किस मिलावट से हमारे शरीर पे उसका क्या प्रभाव है -


खाद्यान्न-दालें-गुड़-मसाले(Grain-pulses-molasses-spice): -


मिलावट:-कंकड़-पत्थर-रेत-मिट्टी- लकड़ी का बुरादा  

प्रभावित:-

आहार तन्त्र के रोग, दाँत व ऑंत 

चने-अरहर की दाल (Gram-tur dal):-

मिलावट:- खेसारी-केसरी दाल

प्रभावित:-

स्वास्थ्य  (लैथीरस रूग्णता)

सरसों का तेल (mustard oil):-

मिलावट:-आर्जिमोन तेल -ऐपिडेमिक ड्रॉफ्सी 

प्रभावित:-

आहार तन्त्र , अनियंत्रित ज्वर

बेसन-हल्दी (Gram Flour-turmeric):-

मिलावट:-पीला-रंग (मैटानिल)

प्रभावित:-

प्रजनन तंत्र - यकृत व गुर्दे

लाल मिर्च (Red chilly):-

मिलावट:-रोडामाइन-बी

प्रभावित:-

यकृत-गुर्दे- तिल्ली

दालें (Pulses):-

मिलावट:-टेलकॅम पाउडर एस्बेस्टॉस पाउडर

प्रभावित:-

पाचन तंत्र -गुर्दे में पथरी की सम्भावना

चांदी-वर्क (silver-Sheet):-

मिलावट:-एल्यूमिनियम

प्रभावित :-

पेट सम्बन्धित बीमारी

काली मिर्च (black pepper):-

मिलावट:-पपीते के बीज

प्रभावित:-

स्वास्थ्य संबंधी रोग

नमक (Salt):-

मिलावट:-मिट्टी-रेत

प्रभावित :-

गले संबंन्धित बीमारी

चाय पत्ती (tea leaves):-

लौह चूर्ण-रंग

प्रभावित:-

आहार तंत्र-पाचन तंत्र 

दूध (Milk):-

मिलावट:-पानी-यूरिया-रंग-वांशिग पाउडर

प्रभावित :-

स्वास्थ्य संबधी बीमारी

घीं (Ghee):-

मिलावट:-चर्बी

प्रभावित :-

स्वास्थ्य संबधी बीमारी

मेवा (dry fruit):-

मिलावट:-अरारोट-चीनी

प्रभावित:-

स्वास्थ्य संबधी बीमारी


मिलावट की जाँच कैसे करें (How to check adulteration):-


खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाँच करना बहुत ही आसान है। इसकी जाँच के सरल व घरेलू तरीके हैं जिससे कोई भी उपभोक्ता आसानी से खाद्य पदार्थों की शुध्दता की जाँच कर सकता है। खाद्य पदार्थों में मिलावट को जाँचने के लिये आसान व घरेलू परीक्षणों का संक्षिप्त विवरण अग्रलिखित है।


मिलावटी पदार्थ का नाम अपमिश्रण की जाँच के सरल परीक्षण:-

मिर्च पाउडर :-

मिलावट--ईंट या बालू का चूर्ण
                                           
एक चम्मच मिर्च पाउडर को पानी भरे ग्लास में डालें। पानी रंगीन हो जाता है, तो मिर्च पाउडर मिलावटी है। उसमें ईंट या बालू का चूर्ण होगा, तो वह पेंदी में बैठ जाएगा। अगर सफेद रंग का झाग दिखे, तो उसमें सेलखड़ी की मिलावट है।

मावा :-

स्टार्च मावा में स्टार्च की उपस्थिति को जांचने के लिए इसकी थोड़ी मात्रा में पानी मिलाकर इस मिश्रण को उबालें। फिर इसमें आयोडीन की कुछ बूंदें डालें। यदि नीले रंग की परत दिखे, तो साफ है कि उसमें स्टार्च मौजूद है।

हल्दी :-

रंग एक चम्मच हल्दी को एक परखनली में डालकर उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालें। बैंगनी रंग दिखता है और मिश्रण में पानी डालने पर यह रंग गायब हो जाता है, तो हल्दी असली है। लेकिन रंग बना रहता है, तो वह मिलावटी हल्दी है।

खाने का तेल :-

आर्जीमोन की उपस्थिति सैंपल में सांद्र नाइट्रिक एसिड मिलाकर मिश्रण को खूब हिलाएं। थोड़ी देर बाद एसिड की परत में अगर लाल-भूरे रंग की परत दिखाई दे, तो यह आर्जीमोन तेल की मौजूदगी का द्योतक है।

चांदी के वर्क:-

एल्युमिनियम चांदी के वर्क में एल्युमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है। क्योंकि चांदी के वर्क को जलाने से वह उतने ही भार की छोटी-सी गेंद के रूप में परिणत हो जाती है, जबकि मिलावट वाली चांदी को जलाने के बाद गहरे ग्रे रंग का अवशेष बच जाता है।

चावल:-

रंग चावल में मिलावट की जांच करने के लिए दोनों हाथों से चावल की कुछ मात्रा को रगड़ें। यदि इसमें पीला रंग होगा, तो हाथों में लग जाएगा। चावल को पानी में भिगोएं और उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालें। पानी का रंग बैंगनी हो जाए, तो उसमें पीला रंग मिला हुआ है।

आटा :-

फीका स्वाद अगर आटा गूंधने में अधिक पानी लगता है, इससे बनी हुई रोटियां अच्छी तरह फूलती हैं और इनका स्वाद मिठास लिए होता है, तो आटा शुध्द है। इसके विपरीत मिलावटी आटे की रोटियों का स्वाद फीका होता है।

सरसों :-

आर्जीमोन सरसों के बीज चिकने होते हैं। आर्जीमोन के बीज की सतह खुरदरी होती है तथा ये काले रंग के होते हैं। इसलिए इस तरह का फर्क करके आसानी से दोनों बीजों को अलग-अलग किया जा सकता है।

चाय-पत्ती :-

रंग चाय पत्ती की शुध्दता की जांच के लिए चीनी-मिट्टी के किसी बरतन या शीशे के प्लेट पर नींबू का रस डालकर उस पर चाय पत्ती का थोड़ा सा बुरादा डाल दें। यदि नींबू के रस का रंग नारंगी या दूसरे रंग का हो जाता है, तो इसमें मिलावट है। यदि चाय पत्ति असली है, तो हरा मिश्रित पीला रंग दिखाई देगा।

शहद:-

चीनी और पानी रूई के फाहे को शहद में भिगोकर उसे माचिस की तीली से जलाएं। यदि शहद में चीनी और पानी का मिश्रण है, तो रूई का फाहा नहीं जलेगा और यदि शहद शुध्द है, तो चटक की आवाज के साथ जल उठेगा।

केसर:-

असली और नकली असली और नकली केसर की पहचान आसानी से की जा सकती है। मकई के टुकड़े को सुखाकर, इसमें चीनी मिलाकर कोलतार डाई से बनाया जाने वाला नकली केसर पानी में डालने के बाद रंग छोड़ने लगता है। असली केसर को पानी में घंटों रख देने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

नमक:-

नमक की कुछ मात्रा लेकर काँच के साफ गिलास में पानी लेकर घोल लें तथा कुछ समय के लिए उसे स्थिर रहने दें, इसके बाद यदि गिलास की तली में रेत या मिट्टी बैठ जाए तो समझ लेना चाहिए कि नमक में मिलावट है।

कॉफी:-

मिलावट-खजूर-इमली के बीज

कॉफी पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छिड़क लें इसके उपर पोटेशियम हाइड्रोक्साइड की कुछ बूंदे डालें यदि कॉफी के आस-पास उसका रंग भूरा हो जाय तो समझ लेना चाहिए कि उसमें मिलावट है।

चने-अरहर की दाल :-

मिलावट-खेसारी दाल-मेटानिल पीला रंग
               
दाल को एक परखनली में डालकर उसमें पानी डालें तथा हल्के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालें हिलाने पर यदि घोल का रंग गहरा लाल हो जाय तो समझना चाहिए कि दाल को मेटानिल पीले रंग से रंगा गया है। खेसारी दाल का परीक्षण दाल को ध्यानपूर्वक देख कर किया जा सकता है। खेसारी दाल नुकीली एवं धंसे हुए आकार की होती है।

काली मिर्च:-

मिलावट-पपीते के बीज

काली मिर्च को पानी में डाल दें यदि पपीते के बीज हैं तो वह पानी में तैर जायेंगें और काली मिर्च डूब जायेगी।

हींग:-

शुध्द हींग को लौ पर जलाने से लौ चमकीली हो जाती है। हींग को साफ पानी में धोने पर यदि हींग का रंग सफेद या दूधिया हो जाये तो हींग शुध्द होती है।

दूध :-

पानी लैक्टोमीटर द्वार सापेक्षिक घनत्व को ज्ञात करके दूध की शुध्दता की जाँच की जा सकती है। शुध्द दूध का सापेक्षिक घनत्व 1.030 से 1.034 तक होना चाहिए।

मक्खन-घीं :-

मिलावट-वनस्पति घीं

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (10 सी. सी.) तथा एक चम्मच चीनी मिलायें तथा इस मिश्रण में 10 सी. सी. घीं या मक्खन मिलायें। इसे अच्छी तरह हिलायें यदि मिलावट होगी तो मिश्रण का रंग लाल हो जायेगा।


खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। यह खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (Prevention of Food Adultration Act.1954)  संस्था द्वारा 1954 में घोषित किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी व्यापारी/विक्रेता को अपराधी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने की जेल हो सकती है। चूंकि खाद्य पदार्थों में मिलावट मानव स्वास्थ्य से संबधित है, सभी लोगों को इसके प्रति जागरूक होना चाहिये।


प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहणियों) को मिलावटी पदार्थों से बचने हेतु जागरूक होना चाहिये। इसके लिये उपभोक्ता को चाहिये कि वे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें। हमेशा सील बन्द तथा डिब्बे वाली खाद्य सामग्री ही खरीदें। हमेशा मानक प्रमाण चिह्न (एगमार्क, एफ.पी.ओ., हालमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुध्दता आदि की समुचित जानकारी रखें।

No comments: