समाज में सभी तरह की मानसिकता के लोग है कोई पत्नी से परेशान है तो कोई पत्नी अपने पति से परेशान है - कारण अलग-अलग है - पति का मन एक से भर गया तो वो दूसरे जगह मुंह मारता है मगर कभी-कभी जीवन में इसका विपरीत भी होता है कि पति अच्छा हो तो पत्नी उसका लाभ उठा लेती है और बेचारा पति चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता है -काफी कोशिशो के बाद भी पति अपनी पत्नी को समझाने में नाकामयाब हो जाता है -
जब आँख के आगे जिद का पर्दा पड़ा हो तो बड़ा मुस्किल होता है -घर और परिवार टूटने की कगार तक पहुँच जाता है यहाँ तक कि कभी बात तलाक तक पहुँच जाती है -
स्त्रियों की पहले ये प्रथा होती थी कि पति के भोजन के बाद पत्नियाँ या तो उनकी जूठी थाली में भोजन करती थी या फिर पति थोडा भोजन छोड़ देता था ये उनके आपसी प्यार को बढ़ावा देता था -धीरे-धीरे वक्त बदलता गया और लोग स्मार्ट युग में प्रवेश कर गए - पढ़ी लिखी लडकियों ने अपने बुजुर्गो के संस्कार को एक किनारे करना ही जादा उचित समझा - कुछ कहती है एक दुसरे का जूठा ग्रहण करने से पति के अंदर की बिमारी मुझे भी लग जायेगी - मतलब अब पति -परमेश्वर नहीं रोग का घर बन गया - सच ये है कि पहले एक संयुक्त परिवार होते थे आपसी प्यार और समन्वय की भावना होती थी - आपको पता है -पहले तलाक की संख्या कम होती थी -
मायके वालो का भी आजकल अपनी बेटी के परिवार को तोड़ने में एक बड़ा रोल सामने आने लगा है - शादी के बाद दिन में तीन-चार बार मोबाइल पे बेटी का हाल जानना और उसमे अपनी सलाह -मशविरा का पुट भरना उनका नैतिक कर्तव्य बन गया है -बेचारी लड़की ये भी नहीं समझती कि उसे किसकी बात माननी है -
सीरियल का दौर भी है खाली समय है - टी वी पे सास बहूँ के सीरियल से अच्छाई की मानसिकता कम लेकिन जवाब देना और किसी प्रकार उसका पति -घर वालो से खिलाफ हो इसकी विशेष बात को मन-मस्तिस्क में बिठा लेना एक आम बात बन गई है -
कुछ प्रयोग जो आपका जीवन बदल सकते है बस भावना किसी के अहित की न हो और इक्छाशक्ति पूर्ण निष्ठा से हो तभी ये कार्य सफल होते है -अंधविश्वास से दूर रहने वालो के करने से इसका कोई फल नहीं मिलता है क्युकि उनकी इक्छाशक्ति इसको निगेटिव की ओर ले जाती है -
जाने और करे :-
पति-वशीकरण प्रयोग :-
यदि आपको लगता हो कि पति के अंदर आपके लिए प्यार न रहा हो तो किसी शुक्रवार को भगवान कृष्ण को याद करें करते हुए तीन इलायची अपने शरीर से स्पर्श कराकर अपने पास रख लें। अब शनिवार सुबह इसी इलायची को पीसकर खाने में या चाय में मिलाकर उन्हें पिला दें-ऐसा तीन हफ्ता हर शुक्रवार को करें तो आपको उनके व्यवहार में फर्क नजर आने लगेगा- इसे आगे भी जारी रख सकती है -
यदि आपको डर हो कि कहीं आपका पति आपको बीच रास्ते ही आपको छोड़कर न चल दे तो इसके लिए यह टोटका अपनाएं। नारियल, धतूरे के बीज, कपूर को पीसकर इसमें शहद मिला लें। हर रोज इसी लेप से लेकर तिलक करें, वह आपको छोड़कर कभी नहीं जायेगे -
यदि पिछले कुछ समय से पति की रुचि पत्नी में कम हो गई हो तो आप दोनों साथ भोजन करें और भोजन के समय चुपके से पत्नी पति के खाने में अपनी थाली से थोड़ा भोजन रख दे। ऐसा करने से पति फिर से पत्नी के प्रति आकर्षित हो जाता है-
अक्सर किसी न किसी के साथ होता है कि पति किसी अन्य औरत के करीब आ जाता है। ऐसे में परेशान पत्नी यदि यह उपाय कर ले तो उसका पति उस महिला के कब्जे से बाहर निकल सकता है। गुरुवार को रात 12 बजे चुपके से पति के थोड़े बाल काट लें और फिर इसे जला डालें। इसके बाद जले हुए अवशेष को अपने पैरों से मसल दें, देख लीजिए कि पति कैसे सुधर जाता है-
शुक्ल पक्ष के रविवार को 5 लौंग लें और इसे शरीर में ऐसे स्थान पर रखें, जहां पसीना आता हो। इसके बाद उस लौंग को सुखा लें और चूर्ण बना लें। फिर यही चूर्ण किसी भी चीज में मिलाकर उन्हें पिला दी जाए तो आपके प्रति उनका आकर्षण बना रहेगा-
पत्नी वशीकरण प्रयोग :-
स्त्री को हमेशा ही अपना बना के रखना हो तो काकजंघा, तगर, केसर इन सबको मिलाकर आपस में पीस लें और इसे उस स्त्री के मस्तक पर तथा पैर के नीचे डाल दें-वह आपको छोड़ कर कभी भी नहीं जाएगी-
यह प्रयोग बड़ा ही आसान प्रयोग है और शीघ्र प्रभाव देने वाला भी-इसीलिए इस प्रयोग को दुर्लभ माना जाता है
वैसे भी यह प्रयोग कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मंगलवार के दिन किया जाता है-परंतु हमारे कुछ भाई लोगो ने इस प्रयोग को मंगलवार -अष्टमी या कृष्ण पक्ष का कोई अच्छया तिथि हो सम्पन्न करके सफलता हासिल की है और अब आप भी करके तो देखो-इस प्रयोग मे एक पान का पत्ता लेना है जो किसी पान के दुकान मे आसानी से मिल जाता है और इस पत्ते को कत्था लगाकर खाया जाता है (नागरवेल)-तो आप इस पत्ते पे जिसे वश करना है उस व्यक्ति का नाम लिखे और नाम को देखते हुये निम्न मंत्र का जाप 108 बार करे और पत्ते पे तीन बार फुक मारे-
मन्त्र - "क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ़्रों कामकलाकाली स्फ़्रों क्रों हुं क्रीं क्लीं स्वाहा "
इसके पश्चात इस अभिमंत्रित पत्ते को अपने मुह मे डालकर धीरे-धीरे चबाते हुये निम्न मंत्र जाप जब तक करे जब तक कि पूरा पत्ता चबाना खत्म ना हो जाये तब तक करना है-
" ॐ ह्रीं क्लीं अमुकी क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय मथ मथ पच पच द्रावय द्रावय मम सन्निधि आनय आनय हुं हुं ऐं ऐं श्रीं श्रीं स्वाहा "
इसके बाद जब मुंह का पत्ता समाप्त हो जाए तो थोडा सा पानी पीजिये और जिसको वश में करना है उसका मानसिक स्मरण करते हुए फिर से निम्न मन्त्र का 108 बार जप करे -
"क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ़्रों कामकलाकाली स्फ़्रों क्रों हुं क्रीं क्लीं स्वाहा "
नोट :- मित्रगण जाने कि कभी -कभी अगर किसी के अहित के हेतु आप ये प्रयोग करना चाहते है तो आपकी इक्छाशक्ति और आत्मशक्ति इस प्रयोग को निष्फल करती है- ये सभी प्रयोग किसी घर परिवार को बनाने के लिए है - बुरे कार्य का परिणाम असफल ही होता है -
एक शाबर प्रयोग :-
बहुत परेशान पतियों के लिए एक उम्द्दा प्रयोग है बस इसका दुरूपयोग न करे -मन्त्र -
"जंगल की योगिनी पाताल के नाग
उठो मेरे वीरो ...........को ल्याओ हमारे पास
यहाँ यहाँ हमारे सहाई
अब नाज भरी ताज भरी अग्नि तक फूंक फिरो
मन विसरे मेरे गुरु गोरखनाथ की दुहाई "
इसको कैसे करे :-
इस मन्त्र का जप ग्रहण-काल में करे या फिर दिवाली -की रात्री को दिवाली के दीपक पे इस मन्त्र को पढ़ते हुए हाथ में अक्षत लेकर 108 बार बोलते हुए दीपक की लो पर छोड़ते जाए -बस मन्त्र सिद्ध हो जाएगा -फिर कभी भी इसका प्रयोग कर सकते है -
प्रयोग-विधि :-
उपर दिए गए मन्त्र के खाली स्थान पर उसका (स्त्री ) नाम प्रयोग करे हर रोज एक माला (108 दाने की ) इक्कीस दिन जप करे और प्रभाव देखे -
उपचार और प्रयोग-
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