Wednesday, October 21, 2015

सभी कष्ट निवारण करता है अदभुत-बजरंग बाण-

आज के युग में हनुमान जी की शक्ति प्रथ्वी पे आज भी विद्धमान है- जिस मनुष्य को अकारण ही कोई कष्ट है या कोई आपका बुरा चाहता है अकारण ही अनिष्ट करने का प्रयास कर रहा है -या आपको भयानक स्वप्न आते है- या फिर घर में कलह या विशेष संकट है यदिकोई रोगी ठीक नहीं हो रहा है हनुमान चलीषा और बजरंग बान का दैनिक पाठ ही आपके कष्टों को दूर कर देता है बस ये याद रक्खे कि धन प्राप्ति या स्त्री वशीकरण के लिए हनुमान जी से प्रार्थना न करे-




जो व्यक्ति नित्य ही हनुमान चालीसा या हनुमान बाण का पाठ प्रतिदिन पूजा पाठ विधि-विधान से करता है | उसे भौतिक सुख की प्राप्ति, उच्च शिक्षा, परिवार में शांति मिलती है-


हनुमान जी की माता का नाम अंजना है-उनके पिता वायु देवता हैं-वायु के बिना मनुष्य का जीवन असंभव है | हनुमान जी को भूख लगी तब उन्होंने सूर्य भगवान को देखा-उन्होंने समझा लाल-लाल सुंदर मीठा फल है. हनुमान सूर्य को मुंह में दबाएं आकाश की ओर जा रहे थे | तब हनुमान ने सफेद ऐरावत पर सवार इंद्र को देखा व समझा कोई सफेद फल है | उधर भी झपट पड़े. देवता इंद्र बहुत क्रोधित हुए | अपने को हनुमान से बचाया | सूर्य को छुड़ाने के लिए हनुमान की ठुड्डी पर बज्र का प्रहार किया | वज्र के प्रहार से हनुमान का मुंह खुल गया और वह बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़े | हनुमान को बेहोश देख कर वायु देवता ने क्रोध में आकर बहना बंद कर दिया. हवा रुक जाने के कारण तीनों लोकों के पशु-पक्षी मनुष्य देवी-देवतागण व्याकुल हो उठे | ब्रह्मा जी इंद्र सहित सभी देवताओं को लेकर वायु देवता के पास पहुंचे | उन्होंने आशीर्वाद देकर हनुमान जी को जीवित कर दिया. उन्होंने कहा कि आज से इस बालक पर किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का प्रभाव नहीं पड़ेगा | ठुड्डी वज्र से टूट गयी थी- इसलिए इनका नाम हनुमान पड़ा |


भगवान कृष्ण ने कहा है कि अंजनी पुत्र में मैं ही राम हूं, मैं ही हनुमान हूं, मैं ही योगीश्वर हूं | नवग्रहों के बाद तीन ग्रहों की खोज हुई. हर्षल, नेप्चयून और प्लूटो, जो ब्रह्मा विष्णु महेश हैं | जो हनुमान की निष्ठापूर्वक पूजा, उपासना करता है वह जातक सुखी रहता है | हनुमान जयंती पर्व हनुमान के जन्मदिवस पर मनाया जाता है-


सर्व प्रथम भगवान राम का  ध्यान करे | भगवान राम जहां हैं | वहां स्वयं भगवान हनुमान उपस्थित रहते हैं |यदि आपको किसी विशेष कार्य हेतु प्रयोग करना है तो आप ये विशिस्ट नियम से करे .


साधना के विशिष्ट नियम :-



किसी भी कार्य की प्राप्ति के लिए संकल्प करें | हनुमान जी की तस्वीर सामने रख कर पद्‌मासन में बैठ जायें | एक अखंड दीपक जलाकर हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें | साधना में पवित्रता और ब्रह्‌मचर्य का पालन करें | हनुमान जी को गुड़ चना विशेष रूप से अर्पण करें | गुगृल का हवन करें-


हनुमान चालीसा का प्रतिदिन 11 पाठ करें | विशेष कार्यों में जातक हनुमान कवच प्राण प्रतिष्ठित धारण कर पंचमुखी हनुमान साधना करें | जातक मंगलवार के दिन उपवास करें | जातक को मंगलवार के दिन चमेली के तेल से हनुमान जी का स्नान कराएं एवं पीला सिंदुर घी में मिलाकर बजरंगबली को लगायें | शनि ग्रह का अनिष्ट प्रभाव चल रहा है-तो शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर तिल के तेल का दीपक जलाकर 108 बार हनुमान बाण का पाठ करें | नवग्रह की शांति के लिए प्रतिदिन दो माला मंत्रों का जाप करें.


आपकी समस्या और समाधान:-



जब आप किसी कानूनी प्रक्रिया में फंसे हों. आप या आपके परिवार में कोई रोग से ग्रसित हो- किसी के द्वारा किया गया तंत्र  का प्रभाव हो और आपको या परिवार में किसी को भूत-प्रेत की ऊपरी बाधा हो आप शत्रुओं के जाल में फंसे हैं व अपने को निर्बल महसूस कर रहे हैं- कोई भी कार्य में सफलता रही मिल रही हो- जब आपके आत्मविश्वास या मनोबल की कमी हो- तब आप बिना चिंता किये अपनी समस्याओं के लिए करे सफलता अवस्य ही मिलेगी -



अगर आप किसी परिवार के अन्य सदस्य के लिए कर रहे है तब उसके नाम से संकल्प ले के भी कर सकते है ये आप गुरु निर्देशन या तंत्र साधक की सलाह से यह कार्य करें-


ब्रह्‌ममुहुर्त में जातक स्नानादि से निवृत होकर हनुमान यंत्र प्राण प्रतिष्ठित लेकर बाजोट(लकड़ी का पट्टा) पर लाल वस्त्र बिछाकर यंत्र स्थापित करें. यंत्र को चमेली के तेल से स्नान कराकर पीला सिंदूर घी में मिलाकर अर्पण करें. जातक लाल आसन पर पद्‌मासन में बैठें. 11 दीप प्रज्जवलित कर 108 बार हनुमान बाण का पाठ करें एवं दो माला मंत्रों का जाप करें. विशेष कार्य में रात्रि में पूजन करें-


मंत्र 1 - हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट.(जप के लिए मन्त्र )

मंत्र 2 - ऊं नमो भगवते आंजनेयाय, महाबलाय स्वाहा.(हवन के लिए प्रयोग करे )


ये है बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग:-



भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग-


आप अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।


हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी खुद की लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।


जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे।यदि आप परिवार के किसी और व्यक्ति के लिए कर रहे है तब संकल्प में उस व्यक्ति के नाम से संकल्प ले कि " में अमुक व्यक्ति के अमुक कार्य हेतु इस प्रयोग को कर रहा हूँ ."


अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।


गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।


बजरंग बाण ध्यान मन्त्र :-




श्रीराम



अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।


दोहा




निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।


चौपाई



जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।

अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।

अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।

जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।

गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।

जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥

जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायं परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥

यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥


दोहा



प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।


किसी भी प्रयोग में विश्वाश धेर्य निष्ठा संकल्प शक्ति की विशेष आवश्यकता होती है शंका करने वाले मनुष्य को सिर्फ शंका ही प्राप्त होती है जिनको शंका रहती हो उनके लिए व्यर्थ है कृपया अपने समय की बर्बादी न करे -यही उत्तम है - जिसने कर लिया वो कष्ट-मुक्त हो गया -

उपचार और प्रयोग -

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