सफ़ेद दाग (ल्यूकोडर्मा विटिलिगो) के नाम से भी जानी जाती है
ये बहुत ही दुर्लभ बीमारी है सफ़ेद दाग और चकते इसके लक्षण है सफ़ेद दाग और चकते ल्यूकोडर्मा वितिलिगा के नाम से जाने जाते है जब ये बिना किसी बीमारी के होते है तो इसे विटिलिगो कहा जाता है .
सफ़ेद दाग(White spot) में ध्यान में रखने योग्य बाते : -
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पीड़ित व्यक्ति तनाव से बचे और आराम करे-तथा नहाते समय अत्यधिक साबुन के प्रयोग से बचे | सुबह के समय 20 से 30 मिनिट धुप का सेवन (धुप स्नान) करे.
कॉस्मेटिक प्रसाधन जैसे क्रीम और पाउडर के प्रयोग बंद करदे-खाने में लोहतत्व युक्त पदार्थ जैसे मांस , अनाज, फलीदार सब्जियां, दालें, व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करे.
खट्टे फल , इमली, मछली, समुद्री जीव इत्यादि का सेवन न करे.
सफ़ेद दाग के इलाज के दौरान नमक और खारयुक्त पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद रखे.
सफ़ेद दाग के कुछ घरेलु उपाय(White stain some domestic measures):-
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जब आप निराश हो गए हों तब ये दवाई जरूर प्रयोग करे :-
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बावची = 150 ग्राम
खैर की छाल = 650 ग्राम
परवल की जड़=300 ग्राम
देशी गाय का घी = 800 ग्राम
भृंगराज= 40 ग्राम
जवासा =40 ग्राम
कुटकी =40 ग्राम
गूगल = 80 ग्राम
बनाने की विधि(method):-
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650 ग्राम खैर की छाल व 150 ग्राम बावची को मोटा कूट कर रख ले।
अब 150 ग्राम बावची, भृंगराज, परवल व जवासे को बारीक पीस ले।और अब गूगल के छोटे टुकड़े बना ले।
इसके बाद 650 ग्राम खैर की छाल + 150 ग्राम बावची को 6.500 किलो पानी मे पकाए। धीमी आग पर पकाए। जब लगभग 1/500 (डेढ़ किलो) ग्राम पानी रह जाए तब छान ले। ठंडा होने पर जो बचा हुआ अंश है उसे कपड़े मे से निचोड़ ले। यह काढ़ा साफ बर्तन मे 1 रात के लिए रख ले। सुबह ऊपर का साफ पानी निथार ले। जो अंश नीचे बैठ जाए उसे छोड़ दे।
एक पीतल की कली की हुई कड़ाही (ना मिले तो लौहे की कड़ाही) मे 800 ग्राम देशी घी व का 1/500 (डेढकिलो) काढ़ा व बाकी बारीक पीसा हुआ पाउडर व गूगल के टुकड़े मिलाकर धीमी आग पर पकाए। बीच बीच कड़छी से हिलाते रहे। कुछ समय बाद कड़ाही मे नीचे काला काला चिपचिपा अंश दिखाई देगा। 1 सलाई पर रुई लपेट कर इस पर घी लगाए। इस घी लगी रुई को जलाए। यदि चटर चटर की आवाज आए तो समझे अभी पकाना बाकी है। यदि बिना किसी आवाज के रुई जल जाए तो आग बंद कर दे। जब लगभग सारा पानी जल जाए और केवल घी रह जाए तो आग बंद कर दे। उसके बाद कड़ाही के हल्का ठंडा होने पर ध्यान से घी को एक सूखे बर्तन मे निकाल ले।
घी पकाते समय मिश्रण पूरी तरह न जले। जब तली मे शहद जैसा गाढ़ा बच जाए तब आग बंद करके घी को अलग कर ले। घी अलग करते समय बर्तन मे जरा सा काले रंग का काढ़ा भी आ जाता है । इसलिए बर्तन से घी को एक चौड़े मुंह की काँच की शीशी मे डाल ले।
प्रयोग विधि(The method used):-
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यह घी लगाने व खाने मे प्रयोग करे। जिसको रोग कम हो उसे 1 समय व जिसे रोग अधिक हो उसे सुबह नाश्ते के बाद व रात को सोने से पहले प्रयोग करे।
मात्रा(Quantity):-
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10 ग्राम छोटे बच्चो को भी दे सकते हैं कम मात्रा मे। इसको लगाने से कुछ दिन बाद दाग का रंग बदलने लगता है। यदि इसको लगाने से यदि जलन हो तो बीच बीच मे इसका प्रयोग बंद कर दे। उस समय नारियल का तेल लगाए। बाद मे जब जलन शांत हो जाए तब फिर दवाई लगाना शुरू कर दे। यदि दाग पर दवाई लगाकर ऊपर किसी भी पेड़ का पत्ता रख कर बांधने से जल्दी लाभ होता है । किसी किसी को इस दवाई के लगभग 20 दिन के प्रयोग के बाद शरीर मे जलन व गर्मी महसूस होने लगती है। तब इसे बीच मे बन्द कर दे। इस दवाई के समय नारियल खाने व नारियल का पानी पीने से जलन नहीं होती।
White spot पर लगाने की दवाई:-
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सफ़ेद दाग मे लगाने की दवाइयाँ प्रायः जलन पैदा करती हैं। परंतु यह दवाई बिलकुल भी जलन पैदा नहीं करती। खाने की दवाइयों के साथ लगाने के लिए यह प्रयोग करे। यदि किसी कि आँख के पास या अन्य किसी कोमल अंग पर सफ़ेद दाग हो तब यह जरूर प्रयोग करें। यह भी बहुत सफल दवाई है।
सरसों का तेल(mustard oil)- 250 ग्राम (कच्ची घानी का अधिक लाभदायक है)
हल्दी (साबुत हल्दी ले) यदि कच्ची हल्दी(turmeric) मिल जाए जो आधिक गुणकारी है तो वह 1 किलो ले। यदि कच्ची हल्दी ना मिले तो सुखी साबुत हल्दी 500 ग्राम ले ।
ध्यान दे कि साबुत सुखी हल्दी मे घुन ना लगा हो।
बनाने का तरीका :-
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एक किलो कच्ची या गीली हल्दी को या 500 ग्राम सुखी साबुत हल्दी को मोटा मोटा कूट ले। अब इसे 4 किलो पानी मे उबाले। तथा जब एक किलो पानी बचे तब छान कर इस हल्दी के पानी को रख ले। अब एक लौहे कि कड़ाही ले जिसमे 4 किलो पानी आ सके। इसमे 250 ग्राम सरसों का तेल व 1 किलो हल्दी का पानी मिलाकर धीमी आग पर पकाए। तथा जब हल्दी का पानी खत्म हो जाए व कड़ाही मे नीचे कीचड़ सा बच जाए तब आग बंद कर दे। और ठंडा होने पर तेल को सावधानी से अलग कर ले। यदि आप अधिक प्रभावशाली दवाई बनाना चाहते हैं तो इस तेल मे 3 बार 1-1 किलो हल्दी का पानी मिलाकर पकाए। यह तेल लगाने पर धीरे धीरे सफ़ेद दाग को खत्म कर देता है। साथ मे खाने की दवाई भी जरूर खाए।
एक और सरल प्रयोग(Simple Use):-
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बावची का एक दाना सुबह पानी से खाली पेट ले। अगले दिन दो दाने ले। इसी तरह 1-1 बढ़ाते हुए 21 तक बढ़ाए। फिर 1-1 कम करते हुए 1 दाने पर ले आए। दोबारा बढ़ाते हुए 1 से 21 तक व 21 से 1 तक ले आए। यह प्रयोग 3-4 बार करने से सफ़ेद दाग ठीक हो जाते हैं। इस प्रयोग से कभी कभी बीच मे गर्मी लगने लगे तो आगे ना बढ़ाए। वहीं से कम करना शुरू कर दे। नारियल का पानी पीने व नारियल की गिरि खाने से गर्मी लगने कि समस्या कम हो जाती है। अधिक लाभ के लिए रात को 2 कप पानी मे 2 चम्मच आंवला चूर्ण डाल दे। सुबह छान कर इस पानी से बावची के दाने ले तो गर्मी नहीं लगती।
अन्य प्रयोग:-
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100 ग्राम तिल व 100 ग्राम बावची मिलाकर बारीक कूट ले। 1 चम्मच सुबह हर दिन पानी से ले। बीच मे यदि गर्मी लगे तो कुछ दिन बंद कर दे। फिर दोबारा शुरू कर दे। इससे भी सफ़ेद दाग ठीक हो जाते हैं।
बाबची और इमली के बीज बराबर बराबर मात्रा में पानी में 3-4 दिन भिगोकर रखे फिर छाया में सुखा दे | अब इसका पेस्ट बनाकर सफ़ेद दाग पर नियमित लगाये |
बावची 100 ग्राम व चित्रक्मूल 100 ग्राम ले। मोटा मोटा कूट ले। रात को 2 चम्मच यह मिश्रण +1 कप पानी +2 कप दूध उबाले। जब केवल दूध बच जाए। तब छान कर दहि जमा दे। इस दहि मे ½ कप पानी मिलाकर लस्सी बना ले। इसमे नमक या चीनी ना मिलाए। एसे प्रतिदिन पिए। कभी कभी इसमे से मक्खन निकाल कर उस मक्खन को सफ़ेद दागों पर लगाए व लस्सी पी ले।
रिजका और खीर ककड़ी का रस 100-100 ग्राम मात्रा में मिलाकर सुबह शाम कुछ महीनों तक नियमित सेवन करे
हरड का पावडर और लहसुन का रस मिलाकर सफ़ेद दाग पर लगायें
छाछ पीजिये, ध्यान लगाना सफ़ेद दाग के इलाज में बहुत ही फायदेमंद है
काले चने का पेस्ट बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर चार महीनो तक लगाये.
रात भर ताम्बे के जग में रखे गए जल का सेवन करे |
अदरख का जूस सफ़ेद दाग में रक्तसंचार(Circulatory) बढ़ाने एवं शक्तिवर्धक होता है
सफ़ेद दाग पर अदरख(Ginger) की पत्तियों को घिस कर लगाना लाभदायक रहता है
बथुए (Bathua) की कढी खाए और बथुए का रस सफ़ेद दाग पर दिन में दो से तीन बार लगाये
एक महीने तक रोजाना अंजीर खाएं
सूखे अनार की पत्तियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर छान ले | सुबह शाम ताजा पानी के साथ 8 ग्राम चूर्ण ले
ल्यूकोडर्मा से रक्षा के लिए रोजाना अखरोट खाएं-
नीम की पत्तियां, नीम के फुल, नीम की निम्बोलियां सुखाकर तीनों को बराबर बराबर मात्रा मिलाकर चूर्ण पावडर बनाले | एक चम्मच पानी के साथ नियमित ले|
100 ग्राम बावची को लाकर साफ करके कूट ले। इसमे खैर व विजयसार का काढ़ा डाल कर धूप मे सुखाए। काढ़ा इतना ही डालें कि 1 दिन मे सुख जाए। इस तरह कम से कम 10 दिन करे। यदि इस तरह 21 बार काढ़ा डालकर सूखा ले तो अधिक अच्छा। उसके बाद इस बावची को बारीक पीस ले। ½ चम्मच इस बावची पाउडर को सुबह शाम आंवले के पानी से ले। बहुत जल्दी लाभ होता है।
खैर विजयसार का काढ़ा बनाने की विधि:-
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जड़ी बूटी वाले से 250 ग्राम खैर की छाल व 250 ग्राम विजयसार की लकड़ी ले आए। कूट कर मिला ले। 50 ग्राम इस मिश्रण को 400 ग्राम पानी मे पकाए। धीमी आग पर पकाए। जब लगभग 100 ग्राम पानी रह जाए तब छान ले। ठंडा होने पर जो बचा हुआ अंश है उसे कपड़े मे से निचोड़ ले। यह काढ़ा साफ बर्तन मे 1 रात के लिए रख ले। सुबह ऊपर का साफ पानी निथार ले। जो अंश नीचे बैठ जाए उसे छोड़ दे। {छानने के बाद जो बचता है उसे कचरे मे ना फेंके। किसी पेड़ की जड़ में डाल दे। खाद का काम करेगी।}यह काढ़ा प्रतिदिन ताजा बनाए।आंवले का पनि बनाने की विधि- रात को 2 कप पानी मे 2 चम्मच आंवला चूर्ण डाल दे। सुबह छान कर इस पानी का प्रयोग करे।
उपचार और प्रयोग-
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