ये बीमारी अब महिलाओं तक ही सीमित नहीं है अब एक प्रतिशत पुरुषो में भी देखने को मिल रही है पुरुषो में भी स्तन बढ़ने की समस्या आज जादा ही दिखाई पड़ने लगी है -उसका ख़ास कारण हमारे खान-पान का प्रभाव है -मार्केट में उपलब्ध हारमोंस इंजेक्सन द्वारा उगाई जाने वाली सब्जी और फलो का प्रभाव किशोरियों में ही नहीं पुरुषो में भी प्रभाव उत्पन्न कर रहा है .
पुरुष बढ़े हुए स्तनों नहीं है एक मुसीबत वास्तव में, लेकिन कुछ मामले काफी कठिन है, हो सकता है जब विशेष रूप से दर्दनाक उत्तेजना पुरुषों है। इसके अलावा, रोगियों द्वारा इस स्थिति के कारण परेशानी महसूस कर सकते हैं।
पुरुषों में ब्रेस्ट में वृद्धि पुरुष और महिला हॉर्मोन्स एंड्रोजेंस और ऑस्ट्रोजेन में असंतुलन के कारण होता है। इसे मेडिकल में गाइनेकोमैस्टिया के नाम से जाना जाता है। यह ज्यादातर 19 से 25 साल के लड़कों में होता है लेकिन कुछ मामलों में ज्यादा उम्र के पुरुषों में भी होता है। लोगों में एक आम गलत धारणा यह है कि पुरुषों में फीमेल हॉर्मोन्स नहीं होते। पुरुषों में फीमेल हॉर्मोन्स होते हैं लेकिन बहुत ही कम मात्रा में। हॉर्मोनल असंतुलन प्राकृतिक तौर पर तब होता है जब मरीज का शरीर फीमेल हॉर्मोन्स के प्रति ज्यादा संवेदशनशील होता है, लेकिन ऐसे मामले दुर्लभ हैं। ज्यादातर मामलों में इसका कारण बाहरी होता है, जैसे खराब पोषण, स्टेरॉयड और शारीरिक अक्षमता।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर दूध देने वाले और नॉन वेज के लिए प्रयोग किए जाने वाले जानवरों के तेज और ज्यादा उत्पादन के लिए उन्हें दिए जाने वाले ग्रोथ हॉर्मोन्स भी हॉर्मोनल अंसुतलन का कारण हैं। शारीरिक श्रम की कमी इस परेशानी को बढ़ाने वाली होती है।
कुछ लोग ज्यादा फिट होने और सुपरस्टार जैसा दिखने के लिए सिक्स पैक्स बनाने के चक्कर में शॉर्टकट अपनाते हैं और स्टेरॉड्स युक्त न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स का प्रयोग करते हैं। इन प्रॉडक्ट्स के प्रयोग से शरीर में एंड्रोजेंस पैदा होने लगता है। ऑस्ट्रोजेंस से जुड़ी ऐक्टिविटी में बढ़ोतरी पुरुषों में ब्रेस्ट की वृद्धि के रूप में सामने आती है।
भारत में 25 से 31 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रहती हैं। ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एक रिसर्च के अनुसार सौ में एक पुरुष में भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए आज हम आपको ऐसे 7 फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें डाइट में शामिल करने से स्तन कैंसर जैसी बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
कुछ सावधानी से आप इनसे काफी हद तक बच सकते है पुरुषो को ब्रेस्ट केंसर से बचने के लिए कुछ ये फूड्स खाना चाहिए -
पीले या नारंगी रंग के फलों और सब्जियों (पीली शिमला मिर्च, कद्दू और खरबूजे) में एक स्ट्रॉन्ग एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो ब्रेस्ट कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक को शरीर से बाहर करता है। इसलिए अपनी डाइट में रोज एक पीला फल या सब्जी शामिल कर ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है। येलो के अलावा हरी सब्जियां जैसे ब्रोकली और गोभी भी शरीर से ब्रेस्ट कैंसर के सेल्स को हटाती हैं।
महिलाओं के शरीर में बैड एस्ट्रोजेन्स का ज्यादा निर्माण होने से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ती है। दालों में फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जिनसे बैड एस्ट्रोजेन्स शरीर से दूर होते हैं। इसलिए दाल, चावल, ओट्स और दूसरे अनाज खाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। साथ ही, फाइबर पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। डाइट में फाइबर की अधिक मात्रा शामिल करने से हानिकारक टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
अनार में आयरन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा तो होती ही है, साथ ही यह ब्रेस्ट कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक जैसे एस्ट्रोजेन्स का निर्माण होने से रोकता है। अनार खाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे छीलकर खाएं, लेकिन अगर आप इसके दानें निकालने में आलस करते हैं, तो इसका जूस भी फायदेमंद होता है।
बेरी (एवोकैडो, बरबेरी, ब्लूबेरी, अंगूर, स्ट्राबेरी और क्रैनबेरी आदि) न सिर्फ टेस्टी होती है, बल्कि इसमें मौजूद इलाजिक एसिड ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को कम करता है। ब्रेस्ट कैंसर के अलावा बेरी से दूसरे टाइप के कैंसर होने का खतरा भी कम रहता है।
अखरोट में कई पोषक गुण होते हैं, जो शरीर के लिए हर तरह से फायदेमंद हैं। अखरोट में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो शरीर में कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक ट्यूमर को बनने से रोकता है। आप अखरोट को नाश्ते में अंकुरित अनाज के साथ भी खा सकते हैं या शाम को स्नैक्स के रूप में भी।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण:-
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आप खुद भी ब्रेस्ट में गांठ की पहचान कर सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हो सकते हैं:-
ब्रेस्ट में गांठ और समय के साथ इसका आकार बढ़ना।
ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढ़ना।
बगल में सूजन आना।
निप्पल का आकार बिगड़ना।
निप्पल का लाल पड़ना या उनसे खून आना।
इस प्रकार के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि जांच के बाद सुनिश्चित होने पे तुरंत उपाय किया जा सके .
इसके कारण:-
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जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या 50 साल के बाद शुरू होती है।
अगर परिवार में या क्लोज़ रिलेटिव में किसी को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या है, तो यह बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।
स्तन में किसी प्रकार के गांठ का बनना।
मोटापा स्तन कैंसर की एक बड़ी वजह बन सकती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ओवरवेट महिलाओं में पीरियड्स के दौरान हाई लेवल के एस्ट्रोजेन्स बनते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
हेल्दी डाइट फॉलो करने के अलावा ब्रेस्ट कैंसर रोकने के कुछ दूसरे उपाय भी करने चाहिए, जैसे-
रेग्युलर एक्सरसाइज करें और शरीर को स्वस्थ रखें।
पुरुष एल्कोहल और स्मोकिंग से दूरी बना लें।
हार्मोन्स रिप्लेसमेंट थेरेपी न करवाएं। इससे ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ती है।
रेग्युलर चेकअप करवाएं और ज़रा सा भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
जो महिलाएं किसी कारणवश अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पातीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है ।
पुरुष बढ़े हुए स्तनों नहीं है एक मुसीबत वास्तव में, लेकिन कुछ मामले काफी कठिन है, हो सकता है जब विशेष रूप से दर्दनाक उत्तेजना पुरुषों है। इसके अलावा, रोगियों द्वारा इस स्थिति के कारण परेशानी महसूस कर सकते हैं।
पुरुषों में ब्रेस्ट में वृद्धि पुरुष और महिला हॉर्मोन्स एंड्रोजेंस और ऑस्ट्रोजेन में असंतुलन के कारण होता है। इसे मेडिकल में गाइनेकोमैस्टिया के नाम से जाना जाता है। यह ज्यादातर 19 से 25 साल के लड़कों में होता है लेकिन कुछ मामलों में ज्यादा उम्र के पुरुषों में भी होता है। लोगों में एक आम गलत धारणा यह है कि पुरुषों में फीमेल हॉर्मोन्स नहीं होते। पुरुषों में फीमेल हॉर्मोन्स होते हैं लेकिन बहुत ही कम मात्रा में। हॉर्मोनल असंतुलन प्राकृतिक तौर पर तब होता है जब मरीज का शरीर फीमेल हॉर्मोन्स के प्रति ज्यादा संवेदशनशील होता है, लेकिन ऐसे मामले दुर्लभ हैं। ज्यादातर मामलों में इसका कारण बाहरी होता है, जैसे खराब पोषण, स्टेरॉयड और शारीरिक अक्षमता।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर दूध देने वाले और नॉन वेज के लिए प्रयोग किए जाने वाले जानवरों के तेज और ज्यादा उत्पादन के लिए उन्हें दिए जाने वाले ग्रोथ हॉर्मोन्स भी हॉर्मोनल अंसुतलन का कारण हैं। शारीरिक श्रम की कमी इस परेशानी को बढ़ाने वाली होती है।
कुछ लोग ज्यादा फिट होने और सुपरस्टार जैसा दिखने के लिए सिक्स पैक्स बनाने के चक्कर में शॉर्टकट अपनाते हैं और स्टेरॉड्स युक्त न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स का प्रयोग करते हैं। इन प्रॉडक्ट्स के प्रयोग से शरीर में एंड्रोजेंस पैदा होने लगता है। ऑस्ट्रोजेंस से जुड़ी ऐक्टिविटी में बढ़ोतरी पुरुषों में ब्रेस्ट की वृद्धि के रूप में सामने आती है।
भारत में 25 से 31 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रहती हैं। ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एक रिसर्च के अनुसार सौ में एक पुरुष में भी ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए आज हम आपको ऐसे 7 फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें डाइट में शामिल करने से स्तन कैंसर जैसी बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
कुछ सावधानी से आप इनसे काफी हद तक बच सकते है पुरुषो को ब्रेस्ट केंसर से बचने के लिए कुछ ये फूड्स खाना चाहिए -
पीले या नारंगी रंग के फलों और सब्जियों (पीली शिमला मिर्च, कद्दू और खरबूजे) में एक स्ट्रॉन्ग एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो ब्रेस्ट कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक को शरीर से बाहर करता है। इसलिए अपनी डाइट में रोज एक पीला फल या सब्जी शामिल कर ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है। येलो के अलावा हरी सब्जियां जैसे ब्रोकली और गोभी भी शरीर से ब्रेस्ट कैंसर के सेल्स को हटाती हैं।
महिलाओं के शरीर में बैड एस्ट्रोजेन्स का ज्यादा निर्माण होने से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ती है। दालों में फाइबर की अधिक मात्रा होती है, जिनसे बैड एस्ट्रोजेन्स शरीर से दूर होते हैं। इसलिए दाल, चावल, ओट्स और दूसरे अनाज खाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। साथ ही, फाइबर पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। डाइट में फाइबर की अधिक मात्रा शामिल करने से हानिकारक टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
अनार में आयरन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा तो होती ही है, साथ ही यह ब्रेस्ट कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक जैसे एस्ट्रोजेन्स का निर्माण होने से रोकता है। अनार खाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे छीलकर खाएं, लेकिन अगर आप इसके दानें निकालने में आलस करते हैं, तो इसका जूस भी फायदेमंद होता है।
बेरी (एवोकैडो, बरबेरी, ब्लूबेरी, अंगूर, स्ट्राबेरी और क्रैनबेरी आदि) न सिर्फ टेस्टी होती है, बल्कि इसमें मौजूद इलाजिक एसिड ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को कम करता है। ब्रेस्ट कैंसर के अलावा बेरी से दूसरे टाइप के कैंसर होने का खतरा भी कम रहता है।
अखरोट में कई पोषक गुण होते हैं, जो शरीर के लिए हर तरह से फायदेमंद हैं। अखरोट में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो शरीर में कैंसर उत्पन्न करने वाले कारक ट्यूमर को बनने से रोकता है। आप अखरोट को नाश्ते में अंकुरित अनाज के साथ भी खा सकते हैं या शाम को स्नैक्स के रूप में भी।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण:-
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आप खुद भी ब्रेस्ट में गांठ की पहचान कर सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हो सकते हैं:-
ब्रेस्ट में गांठ और समय के साथ इसका आकार बढ़ना।
ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढ़ना।
बगल में सूजन आना।
निप्पल का आकार बिगड़ना।
निप्पल का लाल पड़ना या उनसे खून आना।
इस प्रकार के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि जांच के बाद सुनिश्चित होने पे तुरंत उपाय किया जा सके .
इसके कारण:-
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जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या 50 साल के बाद शुरू होती है।
अगर परिवार में या क्लोज़ रिलेटिव में किसी को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या है, तो यह बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।
स्तन में किसी प्रकार के गांठ का बनना।
मोटापा स्तन कैंसर की एक बड़ी वजह बन सकती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ओवरवेट महिलाओं में पीरियड्स के दौरान हाई लेवल के एस्ट्रोजेन्स बनते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
हेल्दी डाइट फॉलो करने के अलावा ब्रेस्ट कैंसर रोकने के कुछ दूसरे उपाय भी करने चाहिए, जैसे-
रेग्युलर एक्सरसाइज करें और शरीर को स्वस्थ रखें।
पुरुष एल्कोहल और स्मोकिंग से दूरी बना लें।
हार्मोन्स रिप्लेसमेंट थेरेपी न करवाएं। इससे ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ती है।
रेग्युलर चेकअप करवाएं और ज़रा सा भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
जो महिलाएं किसी कारणवश अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पातीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है ।
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