कभी-कभी भूख न लगना, गलत-खान पान और लापरवाही आदि के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठी हो जाती है, जो आध्यमान या अफारा को पैदा करती है, इसके परिणामस्वरूप पेट की नसों में खिंचाव महसूस होने लगता है। ऐसी अवस्था में मरीज बेचैन हो उठता है। पेट फूलने लगता है। जब यह गैस (अफारा) ऊपर की ओर बढ़ने लगती है तो हृदय पर दबाब बढ़ता है जिससे घबराहट सी महसूस होती है। यह गैस जब पेट में काफी समय तक रुक जाती है तो पेट में काफी दर्द करती है, जिसे अफारा या पेट में गैस का बनना कहते है।
उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। यह तब होती है जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि।
अपनी ही भूल के कारण, खान-पान में अनियमितता करने के कारण हमारे पेट में बहुत गैस पैदा होने लगती है। यह बनकर निष्कासित होती रहे, तब तक तो तकलीफ नहीं होती मगर जब यह निकलने का नाम न ले और अफारा बना रहे, तब बड़ी ही कठिनाई होती है। असहनीय स्थिति से गुजरना पड़ता है। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं-
आध्यमान (अफारा) यानी (पेट में गैस का बनना) वायु के इकट्ठा होने से पेट के फूलने के कारण पेट में कब्ज़ पैदा हो जाती है। कब्ज के कारण जब आंतों में मल एकत्रित (इकट्ठा) होता है तो मल के सड़ने से दूषित वायु (गैस) की उत्पति होती है। दूषित वायु को जब कहीं से निकलने का रास्ता नहीं मिलता है तो उस दूषित वायु से पेट फूलने लगता है। इससे अग्निमांद्य (भूख का न लगना, अपच) और अतिसार (दस्त) आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार अधिक मात्रा में भोजन करने, बाजारों में अधिक तेल-मिर्च, गर्म मसालों का सेवन करने से पाचन क्रिया की विकृति के साथ आध्यमान की बढ़ोत्तरी होती है।
कषैली, कड़वी, तीखी और रूक्ष (सूखा) वस्तुओं को खाने, खेद (दु:ख), अत्यन्त ठण्डे पदाथों का सेवन, अधिक संभोग के कारण वीर्य की कमी, मल-मूत्र के प्रेशर के रोकने से, चिंता, भय (डर), अधिक रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से मांस क्षीण, अधिक उल्टी और दस्त के कारण अफारा हो जाता है। आमदोष और वृद्धावस्था से व्यक्तियों की नसों में वायु (गैस) भरकर दोषों को बढ़ाकर शरीर के अंगों को जकड़ कर दर्द पैदा हो जाने से यह विकार उत्पन्न हो जाता है।
बैक्टीरिया का पेट में ओवरप्रोडक्शन होना ।
जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।
मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
पाचन संबधी विकार
बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं। इसके साथ बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।
भोजन और परहेज :-
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छोटा अनाज, पुराना शालि चावल, रसोन, लहसुन, करेला फल, शिग्रु, पटोल के पत्ते, फल और बथुआ आदि आध्यमान (अफारा) से पीड़ित रोगी इन सभी का प्रयोग खाने में कर सकते हैं। बंदगोभी, कचालू, अरबी, भिण्डी और ठण्डी चीजें वायुकारक खाद्य पदार्थ हैं, जिसके सेवन करने से पेट में वायु बनती है और अफारा हो जाता है। चावल, राजमा, उड़द की दाल, दही, छाछ, लस्सी और मूली का प्रयोग न करें क्योंकि यह अफारा को अधिक कर देता है। अफारा होने पर कड़वे, तीखे, कषैले, सूखे और भारी अनाज (अन्न), तिल, शिम्बी मांसाहारी भोजन, अप्राकृतिक और विषम आसन, मैथुन, रात में जागना, व्यायाम और क्रोध (गुस्सा) आदि को छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से अफारा रोग होता है।
पेट में गैस बनने के घरेलू उपचार:-
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1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कप गरम पानी में डाल कर पीएं।
सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम और एरण्ड का तेल 8 ग्राम सेवन करने से कब्ज के कारण होने वाला आध्यमान (अफारा) ठीक हो जाता है।
सोंठ का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम भाग में कालानमक मिलाकर सुबह और शाम लेने से लाभ होता है।
सोंठ और कायफल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से गैस मिट जाती है।
भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाए तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुछ ताजा अदरक स्लाइस की हुई नींबू के रस में भिगो कर भोजन के बाद चूसने से राहत मिलेगी।
पेट में या आंतों में ऐंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।
भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानो को 1/2 चम्मच पानी के साथ मिला कर पिएं। * वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।
अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरंत बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।
अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।
पेट में वायु-गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। सप्ताह-दो सप्ताह आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें। इससे वायु-गोला, अफारा के अतिरिक्त कब्ज भी दूर होती है।
तारपीन के तेल की 60 से 120 बूंद को साबुन के घोल में मिलाकर बस्ति (एक क्रिया जिसमें गुदा मार्ग से पानी डालते हैं) देने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
बैंगन को अंगारों पर सेंककर उसमें सज्जीखार मिलाकर पेट पर बांधने से, पेट में भार हो गया हो तो वह दूर होता है।
बैंगन की सब्जी में ताजे लहसुन और हींग का छौंक लगाकर खाने से आध्यमान (अफारा, गैस) को होने से रोकता है।
पेट में गैस या अफारा यदि ज्यादा परेशानी का कारण बन जाए तो सूखे धनिये, इलायची और हल्दी का सेवन करने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
गैस की समस्या को दूर करने के लिए त्रिफला सबसे अधिक अचूक दवा होती है। इससे गैस और अपच पेट के विकारों से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। त्रिफाल का एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ लें इससे गैस की समस्या दूर हो सकती है।
3 ग्राम कालीमिर्च और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर फंकी के द्वारा लें और ऊपर से पानी पी लें।
गुड़ और मेथी दाना को उबालकर पीने से अफारा मिट जाता है।
मेथी 250 ग्राम और सोया 250 ग्राम को लेकर, दोनों को तवे पर सेंक लें, मोटा-मोटा कूटकर (अधकुटा) करके 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से वायु, लार की अधिकता, अफारा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारें आने का कष्ट मिट जाता है।
क्या करे और क्या न करे :-
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वायु कम से कम बने, इसलिये आलू, चावल, तेल, मांस, शराब आदि का सेवन बंद कर दें।
भूखे मत रहें। पेट खाली रहेगा तो भी गैस बनेगी।
व्रत रखना एक अच्छा उपचार है। सात दिनों में केवल धा पौना दिन व्रत रखें।
पुदीना, अनारदाना, प्याज, धनिया आदि की चटनी जरूर लिया करें।
लहसुन, अदरक का प्रयोग अवश्य करें।
अपनी आदत बना लें कि एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर प्रतिदिन पिया करें। उसके बाद ही शौच आदि जाएं।
जिन्हें कब्ज, भी रहता हो और हवा भी काफी बनती हो वे खाना खाने के बाद काला नमक, जीरा, नींबू मिलाकर खारा सोडा पी लें। उससे काफी आराम मिलेगा। आंतड़ियां साफ हो जाएगी।
जिन्हें पेट में अधिक हवा बनने की तकलीफ रहती हो, वे गर्मी के मौसम में तरबूज, खरबूजा तथा आम आदि को अधिक मात्रा में न खाएं। इनसे भी हवा बनती है।
भोजन पचेगा, पेट साफ रहेगा तो गैस कम बनेगी। हरे साग जैसे बथुआ, पालक, सरसों का साग खाएं। खीरा, ककड़ी, गाजर, चुकंदर भी इस रोग को शांत रखते हैं। इन्हें कच्चा खाना चाहिये।
नारियल का पानी दिन में तीन बार पियें। इससे सारा कष्ट मिट जाएगा।
खानो खाने के बाद आइसक्रीम खाना या ठंडे पेय पीना भी हानि करता है। ऐसे में ठंडा जूस पीना भी ठीक नहीं रहता।
यदि किसी को चाय या काफी की आदत हो तो यह भी नुकसान करती है। इस आदत को छोड़ना ही अच्छा है।
मैदे से बने पदार्थ या सुपरफाइन आटे की रोटी आसानी से नहीं पचती। वायु पैदा करते हैं। अत: मोटे चोकर युक्त आटे से या चना अथवा सोयाबीन मिले आटे की रोटी खाएं। यह जल्दी पचेगी भी और अफारा जैसी तकलीफें नहीं होगी। इस प्रकार यदि हम अपने खानपान में सुधार कर लें तो गैस बनने या अफारा होने की तकलीफ नहीं रहेगी।
तत्काल लाभ के लिए :-
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एक दो लहसुन की फांकें छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेटकर, भोजन करने के बाद, चबाकर निगल जाने से थोड़े समय में ही पेट में रुकी हवा निकल जायेगी।
सर्दी के कारण सारा शरीर जकड़ गया हो और कमर दर्द हो तो वह भी जाता रहेगा .
उपचार और प्रयोग -
उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। यह तब होती है जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि।
अपनी ही भूल के कारण, खान-पान में अनियमितता करने के कारण हमारे पेट में बहुत गैस पैदा होने लगती है। यह बनकर निष्कासित होती रहे, तब तक तो तकलीफ नहीं होती मगर जब यह निकलने का नाम न ले और अफारा बना रहे, तब बड़ी ही कठिनाई होती है। असहनीय स्थिति से गुजरना पड़ता है। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं-
आध्यमान (अफारा) यानी (पेट में गैस का बनना) वायु के इकट्ठा होने से पेट के फूलने के कारण पेट में कब्ज़ पैदा हो जाती है। कब्ज के कारण जब आंतों में मल एकत्रित (इकट्ठा) होता है तो मल के सड़ने से दूषित वायु (गैस) की उत्पति होती है। दूषित वायु को जब कहीं से निकलने का रास्ता नहीं मिलता है तो उस दूषित वायु से पेट फूलने लगता है। इससे अग्निमांद्य (भूख का न लगना, अपच) और अतिसार (दस्त) आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार अधिक मात्रा में भोजन करने, बाजारों में अधिक तेल-मिर्च, गर्म मसालों का सेवन करने से पाचन क्रिया की विकृति के साथ आध्यमान की बढ़ोत्तरी होती है।
कषैली, कड़वी, तीखी और रूक्ष (सूखा) वस्तुओं को खाने, खेद (दु:ख), अत्यन्त ठण्डे पदाथों का सेवन, अधिक संभोग के कारण वीर्य की कमी, मल-मूत्र के प्रेशर के रोकने से, चिंता, भय (डर), अधिक रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से मांस क्षीण, अधिक उल्टी और दस्त के कारण अफारा हो जाता है। आमदोष और वृद्धावस्था से व्यक्तियों की नसों में वायु (गैस) भरकर दोषों को बढ़ाकर शरीर के अंगों को जकड़ कर दर्द पैदा हो जाने से यह विकार उत्पन्न हो जाता है।
बैक्टीरिया का पेट में ओवरप्रोडक्शन होना ।
जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।
मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।
पाचन संबधी विकार
बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं। इसके साथ बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।
भोजन और परहेज :-
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छोटा अनाज, पुराना शालि चावल, रसोन, लहसुन, करेला फल, शिग्रु, पटोल के पत्ते, फल और बथुआ आदि आध्यमान (अफारा) से पीड़ित रोगी इन सभी का प्रयोग खाने में कर सकते हैं। बंदगोभी, कचालू, अरबी, भिण्डी और ठण्डी चीजें वायुकारक खाद्य पदार्थ हैं, जिसके सेवन करने से पेट में वायु बनती है और अफारा हो जाता है। चावल, राजमा, उड़द की दाल, दही, छाछ, लस्सी और मूली का प्रयोग न करें क्योंकि यह अफारा को अधिक कर देता है। अफारा होने पर कड़वे, तीखे, कषैले, सूखे और भारी अनाज (अन्न), तिल, शिम्बी मांसाहारी भोजन, अप्राकृतिक और विषम आसन, मैथुन, रात में जागना, व्यायाम और क्रोध (गुस्सा) आदि को छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से अफारा रोग होता है।
पेट में गैस बनने के घरेलू उपचार:-
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1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कप गरम पानी में डाल कर पीएं।
सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम और एरण्ड का तेल 8 ग्राम सेवन करने से कब्ज के कारण होने वाला आध्यमान (अफारा) ठीक हो जाता है।
सोंठ का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम भाग में कालानमक मिलाकर सुबह और शाम लेने से लाभ होता है।
सोंठ और कायफल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से गैस मिट जाती है।
भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाए तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुछ ताजा अदरक स्लाइस की हुई नींबू के रस में भिगो कर भोजन के बाद चूसने से राहत मिलेगी।
पेट में या आंतों में ऐंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।
भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानो को 1/2 चम्मच पानी के साथ मिला कर पिएं। * वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।
अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरंत बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।
अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।
पेट में वायु-गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। सप्ताह-दो सप्ताह आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें। इससे वायु-गोला, अफारा के अतिरिक्त कब्ज भी दूर होती है।
तारपीन के तेल की 60 से 120 बूंद को साबुन के घोल में मिलाकर बस्ति (एक क्रिया जिसमें गुदा मार्ग से पानी डालते हैं) देने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
बैंगन को अंगारों पर सेंककर उसमें सज्जीखार मिलाकर पेट पर बांधने से, पेट में भार हो गया हो तो वह दूर होता है।
बैंगन की सब्जी में ताजे लहसुन और हींग का छौंक लगाकर खाने से आध्यमान (अफारा, गैस) को होने से रोकता है।
पेट में गैस या अफारा यदि ज्यादा परेशानी का कारण बन जाए तो सूखे धनिये, इलायची और हल्दी का सेवन करने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
गैस की समस्या को दूर करने के लिए त्रिफला सबसे अधिक अचूक दवा होती है। इससे गैस और अपच पेट के विकारों से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। त्रिफाल का एक चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ लें इससे गैस की समस्या दूर हो सकती है।
3 ग्राम कालीमिर्च और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर फंकी के द्वारा लें और ऊपर से पानी पी लें।
गुड़ और मेथी दाना को उबालकर पीने से अफारा मिट जाता है।
मेथी 250 ग्राम और सोया 250 ग्राम को लेकर, दोनों को तवे पर सेंक लें, मोटा-मोटा कूटकर (अधकुटा) करके 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से वायु, लार की अधिकता, अफारा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारें आने का कष्ट मिट जाता है।
क्या करे और क्या न करे :-
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वायु कम से कम बने, इसलिये आलू, चावल, तेल, मांस, शराब आदि का सेवन बंद कर दें।
भूखे मत रहें। पेट खाली रहेगा तो भी गैस बनेगी।
व्रत रखना एक अच्छा उपचार है। सात दिनों में केवल धा पौना दिन व्रत रखें।
पुदीना, अनारदाना, प्याज, धनिया आदि की चटनी जरूर लिया करें।
लहसुन, अदरक का प्रयोग अवश्य करें।
अपनी आदत बना लें कि एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर प्रतिदिन पिया करें। उसके बाद ही शौच आदि जाएं।
जिन्हें कब्ज, भी रहता हो और हवा भी काफी बनती हो वे खाना खाने के बाद काला नमक, जीरा, नींबू मिलाकर खारा सोडा पी लें। उससे काफी आराम मिलेगा। आंतड़ियां साफ हो जाएगी।
जिन्हें पेट में अधिक हवा बनने की तकलीफ रहती हो, वे गर्मी के मौसम में तरबूज, खरबूजा तथा आम आदि को अधिक मात्रा में न खाएं। इनसे भी हवा बनती है।
भोजन पचेगा, पेट साफ रहेगा तो गैस कम बनेगी। हरे साग जैसे बथुआ, पालक, सरसों का साग खाएं। खीरा, ककड़ी, गाजर, चुकंदर भी इस रोग को शांत रखते हैं। इन्हें कच्चा खाना चाहिये।
नारियल का पानी दिन में तीन बार पियें। इससे सारा कष्ट मिट जाएगा।
खानो खाने के बाद आइसक्रीम खाना या ठंडे पेय पीना भी हानि करता है। ऐसे में ठंडा जूस पीना भी ठीक नहीं रहता।
यदि किसी को चाय या काफी की आदत हो तो यह भी नुकसान करती है। इस आदत को छोड़ना ही अच्छा है।
मैदे से बने पदार्थ या सुपरफाइन आटे की रोटी आसानी से नहीं पचती। वायु पैदा करते हैं। अत: मोटे चोकर युक्त आटे से या चना अथवा सोयाबीन मिले आटे की रोटी खाएं। यह जल्दी पचेगी भी और अफारा जैसी तकलीफें नहीं होगी। इस प्रकार यदि हम अपने खानपान में सुधार कर लें तो गैस बनने या अफारा होने की तकलीफ नहीं रहेगी।
तत्काल लाभ के लिए :-
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एक दो लहसुन की फांकें छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेटकर, भोजन करने के बाद, चबाकर निगल जाने से थोड़े समय में ही पेट में रुकी हवा निकल जायेगी।
सर्दी के कारण सारा शरीर जकड़ गया हो और कमर दर्द हो तो वह भी जाता रहेगा .
उपचार और प्रयोग -
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