सिंघाडा खाये ये उपहार है -Chestnut eat these gifts:-
सिंघाड़े के सीजन में हमें भरपूर सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए -ये स्वास्थ के लिए परम हितकारी है आपको पता होना चाहिए कि इसमें विटामिन ए और विटामिन सी होता है -
किन-किन रोगों में लाभदायक है :-
जिन महिलाओं का गर्भकाल (Pregnancy ) पूरा होने से पहले ही गर्भ गिर जाता है उन्हें खूब सिंघाड़ा खाना चाहिए। इससे भ्रूण को पोषण मिलता है और मां की सेहत भी अच्छी रहती है जिससे गर्भपात नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़ा खाना चाहिए। खासतौर पर जिनका गर्भ सात महीने का हो चुका है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है। इसे खाने से ल्यूकोरिया नामक रोग भी ठीक हो जाता है।
इसके सेवन से भ्रूण (fetus ) को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। Regular and appropriate intake of water chestnut fetus is healthy and beautiful-
Many properties are in raw water chestnut- Some people eat boiled-Does it strengthen both health- It is also easy to digest-It is also easy to digest
Healthy skin, vitamin A and vitamin C in the water chestnut is plentiful -Which is very helpful in maintaining the skin's health and beauty-As regular eating salad in the winter will not be the problem of your skin Nikregi and Draines-
टांसिल्स होने पर भी सिंघाड़े का ताजा फल या बाद में चूर्ण के रूप में खाना ठीक रहता है।साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।
लू लगने पर सिंघाड़े का चूर्ण ताजे पानी से लें। गर्मी के रोगी भी इसके चूर्ण को खाकर राहत पाते हैं।
यह थायरोइड के लिए बहुत अच्छा है. सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
पेशाब के रोगियों के लिए सिंघाड़े का क्वाथ बहुत फायदा देता है।
प्रमेह के रोग में भी सिंघाड़ा आराम देने वाला है। सिंघाड़े को ग्रंथों में श्रृंगारक नाम दिया जाता है। यह विसर्प रोग में लेने पर हमें रोग मुक्त कर देता है।
प्यास बुझाने का इसका गुण रोगों में बहुत राहत देता है। प्रमेह के रोगी भी सिंघाड़ा या श्रृंगारक से आराम पा लेते हैं।
नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को दाद पर घिसकर लगाएँ। पहले तो कुछ जलन लगेगी, फिर ठंडक पड़ जाएगी। कुछ दिन इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवन
से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
गर्भाशय की निर्बलता से गर्भ नहीं ठहरता, गर्भस्त्राव हो जाता हो तो कुछ सप्ताह ताज़े सिंघाड़े खाने से लाभ होता है।
सिंघाड़े की रोटी खाने से रक्त- प्रदर ठीक हो जाता है। खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़े के फल का सेवन खूब करना चाहिए।
सिघांड़े के आटे को घी में सेंक ले -आटे के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | 2-4 गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है| गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |
एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े न खाएं।
एड़ियां फटने (Adiya ejaculation ) की समस्या शरीर में मैगनीज की कमी के कारण से होता है। सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जिसमें पोषक तत्वों से मैगनिज एब्ज़ार्ब (Magnij Abjharb ) करने की क्षमता है। इसे खाने से शरीर में रक्त की कमी भी दूर होती है।
उपचार और प्रयोग -
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