Wednesday, August 05, 2015

मूत्राशय में दर्द के निवारण की औषधि


मूत्र विकार के अंतर्गत कई रोग आते हैं जिनमें मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना, मूत्रकृच्छ और बहुमूत्र प्रमुख हैं। यह सभी रोग बड़े कष्टदायी होते हैं। यदि इनका यथाशीघ्र उपचार न किया जाए तो घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यदि मूत्राशय में पेशाब इकट्ठा होने के बाद किसी रुकावट की वजह से बाहर न निकले तो उसे मूत्रावरोध कहते हैं।

स्त्रियों में किसी बाहरी चीज के कारण तथा पुरुषों में सूजाक, गरमी आदि से मूत्राशय एवं मूत्र मार्ग पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रुक जाता है। वृद्ध पुरुषों की पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड) बढ़ जाती है जिसके कारण उनका मूत्र रुक जाता है। मूत्रकृच्छ में पेशाब करते समय दर्द होता है। जब मूत्राशय में दर्द उत्पन्न होता है तो पेशाब रुक जाता है। इसी प्रकार हिस्टीरिया (स्त्री रोग), चिन्ता, सिर में चोट लग जाना, आमाशय का विकार, खराब पीना, आतशक, कब्ज, पौष्टिक भोजन की कमी आदि के कारण भी बार-बार पेशाब आता है।

मूत्र की कमी या न निकलने से मूत्राशय फूल जाता है। रोगी को बड़ी बेचैनी होती है| मूत्र बड़े कष्ट के साथ बूंद-बूंद करके निकलता है। कब्ज, मन्दाग्नि, अधिक प्यास, पेशाब अधिक आने, मूत्र पीला होने आदि के कारण रोगी को नींद नहीं आती। वह दिन- प्रतिदिन कमजोर होता जाता है। कमर, जांघों तथा पिंडलियों में दर्द होता है।

करे ये प्रयोग:-
  1. मक्के के भुट्टे (कच्ची मक्का) को पानी उबाल लें| फिर लगभग एक गिलास पानी छानकर उसमें मिश्री मिलाकर पी जाएं,  इससे पेशाब की जलन जाती रहती है।
  2. पेशाब की जलन दूर करने के लिए रात में तरबूज को ओस में रखें तथा सुबह उसका रस निकालकर मिश्री मिलाकर पी जाएं।
  3. एक गिलास पानी में 25 ग्राम जौ उबालें| फिर उसे ठंडा करके केवल पानी को घूंट-घूंट पिएं
  4. लगभग चार चम्मच ईसबगोल की भूसी पानी में भिगो दें, फिर उसमें बूरा डालकर पी जाएं, पेशाब की जलन शान्त हो जाएगी।
  5. चार चम्मच फालसे के रस में काला नमक डालकर पिएं, पेशाब की जलन जाती रहेगी।
  6. एक कप चावल का मांड़ लेकर उसमें चीनी मिलाकर पिएं।
  7. थोड़ा-सा बथुआ पानी में उबालें| फिर उसमें काला नमक, भुना जीरा, कालीमिर्च तथा जरा-सी शक्कर डालकर सेवन करें।
  8. 50 ग्राम प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटें| फिर एक गिलास पानी में वह प्याज उबालकर छान लें| अब उसमें थोड़ी-सी चीनी डालकर सेवन करें| यह मूत्र रोगी के लिए बड़ा अच्छा नुस्खा है।
  9. एक कप अनार का शरबत सुबह नाश्ते के बाद सेवन करें।
  10. यदि पेशाब में जलन हो, खुलकर पेशाब न आए या बूंद-बूंद पेशाब हो तो पालक के एक कप रस में आधा कप नारियल का पानी मिलाकर पी जाएं।
  11. पीपल के वृक्ष की पांच कोंपलों को पानी में उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर शक्कर डालकर पी जाएं।
  12. हरे आंवले के रस को पानी में मिलाकर पिएं| स्वाद के लिए जरा-सी शक्कर या शहद डाल लें।
  13. कलमी शोरा दो चम्मच तथा बड़ी इलायची के दानों का चूर्ण एक चम्मच-दोनों को मिलाकर सेवन करें।
  14. बेल के पत्तों को पानी में पीस लें| इसमें जरा-सी कालीमिर्च तथा दो चम्मच शहद मिलाएं| फिर घूंट-घूंट पी जाएं।
  15. प्रतिदिन सुबह एक कप गाजर के रस में नीबू निचोड़कर पिएं।
  16. गन्ने के ताजे रस में नीबू तथा सेंधा नमक मिलाकर पीने से मूत्र की जलन दूर होती है| मूत्र खुलकर आता है।
  17. एक कप ककड़ी के रस में शक्कर मिलाकर सेवन करें।
  18. यदि पेशाब करते समय दर्द होता हो तो दूध में सोंठ और मिश्री मिलाकर सेवन करें।
  19. गुर्दे की खराबी के कारण यदि पेशाब बंद हो गया हो तो एक चम्मच मूली के रस में जरा- सा सेंधा नमक मिलाकर पी जाएं।
  20. अगर पेशाब में रक्त आता हो तो कुलफा के साग के पत्तों का रस चार-चार चम्मच की मात्रा में दिनभर में तीन बार पिएं।
  21. यदि पेशाब में रक्त आने की शिकायत हो तो एक चम्मच दूब के रस में जरा- सी नागकेसर मिलाकर सेवन करें।
  22. 6 माशा जवाखार में गुड़ मिलाकर सेवन करें।
  23. नीबू के बीजों को पीसकर नाभि पर लेप करने से रुका हुआ पेशाब शीघ्र आने लगता है।
  24. केले के तने का रस चार चम्मच पीने से पेशाब आ जाता है, मात्रा इससे जादा न ले।
  25. सुबह-शाम एक-एक चम्मच काले तिल चबाकर खाना चाहिए।
  26. आधा चम्मच अजवायन दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
  27. आंवले के एक चम्मच रस में एक चुटकी हल्दी तथा आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।
  28. अनन्नास की फांकों पर पीपल का चूर्ण डालकर खाएं।
  29. मसूर की दाल सुबह पकवाकर खाली पेट पिएं।
  30. सेब खाने से बार-बार पेशाब आना कम हो जाता है।
  31. काले तिल में गुड़ मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है।
  32. दो चम्मच पालक के रस में काला नमक डालकर सेवन करें, रात को दूध में छुहारा डालकर पिएं।
  33. 1 ग्राम जावित्री तथा 5 ग्राम मिश्री को गाय के दूध के साथ लें।
  34. भुने हुए चने खाने से बार-बार पेशाब जाने की हालत ठहर जाती है।
  35. 3 ग्राम खसखस के दाने थोड़े से गुड़ में मिलाकर खा जाएं।
  36. पके हुए केले को आंवले के रस के साथ सेवन करें| पहले केला खाएं, ऊपर से रस पी लें।
  37. सुबह-शाम 5-5 ग्राम पिसी हल्दी को दूध के साथ लेने से बहुमूत्रता की व्याधि खत्म हो जाती है।
परहेज 
  • उचित समय पर पचने वाला हल्का भोजन करें| सब्जियों में लौकी, तरोई, टिण्डा, परवल, गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, कुलफा आदि का सेवन करें| दालों में मूंग व चने की दाल खाएं।
  • फलों में सेब, पपीता, केला, नारंगी, संतरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, चीकू आदि का प्रयोग करें। 
  • अरहर, मलका, मसूर, मोठ, लोबिया, काबुली चने आदि का सेवन न करें।
  • गुड़, लाल मिर्च, मिठाई, तेल, खटाई, अचार, मसाले, मैथुन तथा अधिक व्यायाम से परहेज करें।

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