Saturday, November 22, 2014

बुद्धि, शक्ति व नेत्रज्योति वर्धक प्रयोग....!


हेमंत ऋतू में जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। इस समय पौष्टिक पदार्थों का सेवन कर वर्षभर के लिए शारीरिक शक्ति का संचय किया जा सकता है। निम्नलिखित प्रयोग केवल १५ दिन तक करने से शारीरिक कमजोरी दूर होकर शरीर पुष्ट व बलवान बनता है, नेत्रज्योति बढती है तथा बुद्धि को बाल मिलता है।

सामग्री
  • बादाम ५ ग्राम, खसखस १० ग्राम, मगजकरी (ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, पेठा व लौकी के बीजों का समभाग मिश्रण) ५ ग्राम, कालीमिर्च ७.५ ग्राम, मालकंगनी २.५ ग्राम, गोरखमुंडी ५ ग्राम ।

विधि
  • रात्रि को उपरोक्त मिश्रण कुल्हड़ में एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह छानकर पानीपी लें व बचा हुआ मिश्रण खूब महीन पीस लें | इस पिसे हुए मिश्रण को धीमी आँच पर देशी घी में लाल होने तक भुने | ४०० मि.ली. दूध में मिश्री व यह मिश्रण मिला के धीरे-धीरे चुसकी लेते हुए पियें।
  • १५ दिन तक यह प्रयोग करने से बौद्धिक व शारीरिक बल तथा नेत्रज्योति में विशेष वृद्धि होती है।
  • इसमें समाविष्ट बादाम, खसखस व मगजकरी मस्तिष्क को बलवान व तरोताजा बनाते हैं | मालकंगनी मेधाशक्तिवर्धक है। यह ग्रहण व स्मृति शक्ति को बढाती है एवं मस्तिष्क तथा तंत्रिकाओं को बाल प्रदान करती है। अत: पक्षाघात (अर्धांगवायु), संधिवात, कंपवात आदि वातजन्य विकारों में, शारीरिक दुर्बलता के कारण उत्पन्न होनेवाले श्वाससंबन्धी रोगों, जोड़ों का दर्द, अनिद्रा, जीर्णज्वर (हड्डी का बुखार) आदि रोगों में एवं मधुमेह के कृश व दुर्बल रुग्णों हेतु तथा सतत बौद्धिक काम करनेवाले व्यक्तियों व विद्यार्थियों के लिए यह प्रयोग बहुत लाभदायी है।
  • इससे मांस व शुक्र धातुओं की पुष्टि होती है |

No comments: